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क्या लिखूॅ॑गी खत में…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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खत लिख के मैं हार गई तुझको,
लगता है फिर भूल गया मुझको
प्रेम भरा पत्र जब तुझे भेजा था,
दिल की बातें खत में रख दी थी।

अनदेखा करते हो,पत्र पढ़ते नहीं,
दुख-दर्द समझने कभी आते नहीं
अटूट प्यार किया था सनम तुमसे,
नहीं समझा प्यार,रूठ गया हमसे।

भूल गया,संग में झूला झूलते थे,
याद है जी,आप जो वादा किए थे
जानती थी वादा नहीं निभाओगे,
मझधार में छोड़ के भाग जाओगे।

लाख जतन करो ना भूल पाओगे,
प्यार के लिए मुझको तड़पाओगे
क्या लिखूॅ॑गी खत में बेदर्द साजन,
संभालो अब घर छोड़ चली आँगन।

नहीं आए तो पीहर चली जाऊॅ॑गी,
लाख मनाओगे मैं नहीं आऊॅ॑गी।
सच्चे दिल से प्यार किया तुमसे,
यही लिखती हूँ बस खत में…॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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