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गणेशोत्सव पर हुई सरस काव्य गोष्ठी

मंडला (मप्र)।

गणेशोत्सव के अवसर पर स्वतंत्र साहित्य मंच की भक्ति-भाव में पगी सरस काव्य गोष्ठी हुई। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि विजय सिंह चौधरी ‘चाचा’ ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे थे।
गोष्ठी में सरस्वती-वंदना के बाद भक्तिरस, देशभक्ति व सामाजिक चेतना में पगी रचनाओं की प्रस्तुति हुई। बेहतरीन हास्य भी परोसा गया। व्यंग्य की झड़ी-सी लग गई, तो दोहों, मुक्तकों, कुंडलियों ने एक अलग ही माहौल बना दिया।
नवीन जैन की कविताओं को व्यापक रूप में पसंद किया गया, तो प्रो. खरे की कविताओं ने कार्यक्रम को ऊँचाईयों पर पहुंचा दिया।
उनके गणेश-वंदना पर आधारित मुक्तक बेहद पसंद किए गए–“हे! गजानन,विनायक हमें ज्ञान दो। चेतना में बसो,तुम हमें आन दो। मैं मनुजता का गायन,करूँ अब सदा- तुम हमें तेज दो, तुम हमें शान दो॥”” उनकी अन्य रचनाएं भी श्रेष्ठ रही।
कवि श्री चौधरी ने प्रयोगात्मक कुंडलियां सुनाकर परिवेश को उल्लासित कर दिया। जो चुटीलापन था, उसे सराहा गया। अन्य कवि-कवियित्रियों ने भी कविताएं पूरे उत्साह के साथ पेश की। संचालन-संयोजन और आभार की भूमिका नवीन जैन ‘अकेला’ ने निभाई।

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