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गाय की रक्षा एवं पूजन हमारा धर्म

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर(मध्यप्रदेश)
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पशुओं का ध्यान रखने के अलावा गाय का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। गाय का (गोधूलि वेला ) जंगल से घर वापस लौटने का संध्या का समय अत्यंत शुभ एवं पवित्र है। गाय का मूत्र गौ औषधि है। माँ शब्द की उत्पत्ति गौ मुख से हुई है। मानव समाज ने भी माँ शब्द कहना गाय से सीखा है। जब गौ वत्स रंभाता है तो ‘माँ’ शब्द गुंजायमान होता है। गौ-शाला में बैठकर किए गए यज्ञ हवन,जप-तप का फल कई गुना मिलता है। बच्चों को नज़र लग जाने पर गौ माता की पूंछ से बच्चों को झाड़े जाने से नजर उतर जाती है। ऐसा उदाहरण पूतना उद्धार में भगवान कृष्ण को नज़र लग जाने पर गाय की पूंछ से नजर उतारने का ग्रँथों में भी पढ़ने को मिलता है।
गौ के गोबर से स्थान को लीपने से स्थान पवित्र होता है। गौ-मूत्र का पावन ग्रंथों में अथर्ववेद,चरक सहिंता,राजतिपटु,बाण भट्ट,अमृत सागर,भाव सागर ,सश्रुतु संहिता में सुंदर वर्णन किया गया है। काली गाय का दूध त्रिदोष नाशक सर्वोत्तम है। रुसी वैज्ञानिक शिरोविच ने कहा था कि गाय के दूध में रेडियो विकिरण से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है। गाय का दूध एक ऐसा भोजन है,जिसमें प्रोटीन कार्बोहाइड्रेड,दुग्ध,शर्करा,खनिज लवण वसा आदि मनुष्य शरीर के पोषक तत्व भरपूर पाए जाते हैं। ऐसी कई जानकारियां वैज्ञानिकों के शोध एवं धार्मिक ग्रंथों में दर्शित है।
आज भी कई घरों में गाय के लिए रोटी रखी जाती है। कई स्थानों पर संस्थाएं गौशाला बनाकर पुनीत कार्य कर रही है,जो प्रशंसनीय कार्य है। गौ रक्षा पालन संवर्धन हेतु सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं एवं सेवाभावी लोग लगातार संघर्षरत हैं। दुःख इस बात का भी होता है कि कुछ लोग गाय को भटकने हेतु बाजारों में छोड़ देते हैं। उन्हें इनकी भूख-प्यास की कोई चिंता ही नहीं होती। लोगों को चाहिए कि यदि गाय पालने का शौक है तो उनकी देखभाल भी आवश्यक है,क्योंकि गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।

परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL

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