देवेन्द्र कुमार राय
भोजपुर (बिहार)
*************************************************************
देखो चाँद निकल आया है,
मुंडेर से अपलक झांके
सितारों का हार लिए,
जूगनू की बिन्दी पहने
बादलों का घूँघट किए,
रजनी दुल्हन का श्रृंगार
निरख-निरख के अन्तः से
तारों का मन ललचाया है,
देखो चाँद निकल आया है।
ओस की बारात सजी है,
मन्थर हवा का गीत
पत्तियों ने चँवर डोलाया,
है रौशनी मनमीत
सूरज द्वारे आया है,
देखो चाँद निकल आया हैll