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दर्द सारे सह गए

सुदामा दुबे 
सीहोर(मध्यप्रदेश)

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मौन से रहे कभी तो,
दिल की कभी कह गए।
हम भी अपने दर्द सारे,
हँसते-हँसते सह गए।

मुरझाये नेह सुमन,
जिंदगी की धूप में,
साजिशों की लहरों में,
रिश्ते सभी बह गए।

वक्त की चलीं ऐसी,
बेरहम-सी आँधियाँ,
सपनों के महल सारे,
देखते ही ढह गए।

गैरों की बातों का,
वो यकीन कर बैठे,
दिल की गहराई की,
वो न कभी तह गए॥

भीड़ थी हसीनों की,
दुनिया के मेले में,
मिलीं भी हजार मगर,
फिर भी तन्हा रह गए॥

परिचय: सुदामा दुबे की की जन्मतिथि ११ फरवरी १९७५ हैl आपकी शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र)है l सहायक अध्यापक के रूप में आप कार्यरत हैं l श्री दुबे का निवास सीहोर(मध्यप्रदेश) जिले के बाबरी (तहसील रेहटी)में है। आप बतौर कवि काव्य पाठ भी करते हैं। लेखन में कविता,गीत,मुक्तक और छंद आदि रचते हैंl

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