मैं जीवन हूँ
सुख-दु:ख दोनों साथ लिए,आशाओं का आभास लिए, कभी विचलित कभी अविचल,कभी कल्पना को साथ लिए कभी थीर कभी कम्पित पग से,कभी गाँव कभी विस्तृत जग से, आगे बढ़ता जाता हूँ,इसीलिए…
सुख-दु:ख दोनों साथ लिए,आशाओं का आभास लिए, कभी विचलित कभी अविचल,कभी कल्पना को साथ लिए कभी थीर कभी कम्पित पग से,कभी गाँव कभी विस्तृत जग से, आगे बढ़ता जाता हूँ,इसीलिए…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* लाचार पथिक सामने अनन्त दूरी है, जीऊँ कैसे,जीना भी तो मजबूरी है। वक्त की गर्दिशों की गहन धूल, अन्जान अजनबी-सा जीवन मूल। रोग क्या…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* वैरागी सन्यासी को जो हर पल कहता है शैतान, वही चीरहरण करने बन के बैठा है भगवान। सत्ता में कुर्सी के लिए नोच लिया…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* देखो चाँद निकल आया है, मुंडेर से अपलक झांके सितारों का हार लिए, जूगनू की बिन्दी पहने बादलों का घूँघट किए, रजनी दुल्हन का…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* कौन तय करेगा लक्ष्य हमारे ? मैं,राजनीति हिन्दू,मुसलमान देश या धर्म, किससे पूछकर दीया जलाऊँ ? किससे पूछकर दीप जलाऊँ, कौन करुँ मैं कर्म…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* मैं नील गगन का वासी, मैं सदा अभय हूँ बिन बाधा निर्भय हूँ, नहीं चाहिए कृपा किसी की नहीं दया का भाव, गुलामी से…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* नैतिकता की भटकी राह को सच्चा मार्ग दिखाती कविता, दर्द अश्क की गर्मी को हरपल शीतलता देती है कविताl इंसानों के आत्मज्ञान का दर्पण…
देवेन्द्र कुमार राय भोजपुर (बिहार) ************************************************************* नारी नर की जननी है, और धरा की प्रेम प्रतीक। पल्लवित कण-कण इससे, हर पग जग लेता है सीख। मूल में ममता मानवता की,…