दिल्ली
**************************************
लोकसभा चुनाव के पाँचवें चरण की ओर बढ़ते हुए चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। तमाम राजनीतिक दलों में वास्तविकता से दूर झूठे, तथ्य-आधारहीन, भ्रामक एवं बेबुनियाद वादे करने की आपसी होड़ बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल जिस तरह से जीत के तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, वह हास्यास्पद एवं अविश्वसनीय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के ४ चरण पूरा होने के बाद विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ यानी इंडिया गठबंधन मजबूत स्थिति में है और सरकार बनाएगा। इसी तरह ममता बनर्जी, अरविन्द केजरीवाल एवं अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की करारी हार की बात कही है। वर्ष २०१९ के आम चुनाव के दौर में भी इन नेताओं ने ऐसे ही बयान दिए थे, जो झूठे साबित हुए। इस तरह के अतिश्योक्तिपूर्ण, आधे-अधूरे, सत्यता से परे के बयानों से राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता निचली पायदान पर पहुंच चुकी है और तेज़ी से घट रही है। जिस प्रकार विभिन्न दलों के नेताओं की भाषा, बयान एवं लोक लुभावन वायदे निम्न स्तर पर पहुंच रहे हैं, उसे देखकर कहा जा सकता है कि हमारे लोकतंत्र का स्वास्थ्य कहीं-ना-कहीं खराब जरूर हो रहा है।
आम आदमी पार्टी (आप) के वादे और उनके काम के बीच फ़ासला लगातार बढ़ता रहा है, देश की भोली-भाली जनता को आपका बेटा, आपकी बेटी कहकर सहानुभूति पाने की उसकी कुचेष्टाओं का पर्दापाश पहले ही हो गया है। ‘आप’ ने अपने कामकाज के तरीक़े में पूरी पारदर्शिता का वादा किया था, लेकिन निश्चित ही आप की कथनी और करनी में गहरा फासला है। इन्हीं केजरीवाल ने जनता को गुमराह करने एवं ठगने के लिए गुजरात के गत विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान सादे कागज पर अपने हस्ताक्षर करते हुए गुजरात में ‘आप’ की सरकार बनने का दावा किया, जबकि उन चुनावों में ४-५ सीटों पर जीत के अलावा सभी सीटों पर ‘आप’ उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। एक बार फिर इन लोकसभा चुनावों में वे ऐसा ही कर रहे हैं। इससे वे पार्टी की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया है कि उनकी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह दावा वास्तविकता से कोसों दूर है और राजनीतिक हलकों में उपहास का विषय बन गया है। जब कांग्रेस ने इन चुनावों में कोई लक्ष्य ही तय नहीं किया है तो, कौन से लक्ष्य एवं जीत की बात कांग्रेस कर रही है ? जैसे भाजपा ने ४०० पार का लक्ष्य बनाया है, क्या कांग्रेस का ऐसा कोई लक्ष्य है ? पार्टी के कार्यकर्ता बिना लक्ष्य के किसे अपना मिशन बनाएं ?
हाल के दिनों में प्रत्येक दल के घोषणा-पत्र में वादों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त सामने आई है, जबकि अतीत में किए उनके काम बताते हैं कि सत्ता में आने के बाद वे अपने घोषणा-पत्र के कुछ ही हिस्सों को लागू कर पाते हैं। जो सत्ता में नहीं आ पाते, वो पत्र को कूड़े के डब्बे में डाल देते हैं। विडम्बना तो यह भी है कि, जिन दलों को चुनाव जीतने की आशा नहीं है, वे बेतुके वायदे एवं घोषणाएं करके आम मतदाता को भ्रमित करते हैं। शुरुआत से ही दल वादे इसलिए करते हैं कि, लोग उन्हें सत्ता की चाबी सौंपें, लेकिन चुनावी मौसम में दल और नेता अपने-अपने कामों के बारे में बढ़-चढ़कर दावे करते हैं। उन्हें भरोसा रहता है कि, मासूम और भोली जनता उनके दावों पर यकीन कर लेगी। कांग्रेस अध्यक्ष श्री खरगे ने उत्तर प्रदेश की एक सभा में भाजपा के ५ किलो मुफ्त अनाज की जगह १० किलो मुफ्त अनाज की घोषणा कर है। बेवक्त की यह घोषणा भी दल की अपरिपक्वता को उजागर कर रही है। हालांकि, ऐसे वादे हमेशा खाली जाते हैं या अधूरे रहते हैं। वादे करने का मतलब उसे पूरा करना ही नहीं होता। अतीत में कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे के साथ १९७१ का चुनाव ज़रूर जीता था, लेकिन लगातार २ बार सत्ता में आने के बाद भी देश से ग़रीबी नहीं हटी, क्योंकि ज्यादातर सरकारी योजनाएं आम ग़रीबों तक पहुंची ही नहीं। हालांकि, यह देखना बाक़ी है कि किसने सबक लिया और कौन अपने वादों और दावों के प्रति गंभीर रहेगा।
श्री खड़गे और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि विपक्षी इंडिया’ गठबंधन उत्तर प्रदेश में ७९ लोकसभा सीटें जीतेगा, और सिर्फ १ सीट पर ही मुकाबला है। ऐसे अतिश्योक्तिपूर्ण बयान कभी सच होते हुए नहीं देखे गए हैं। निश्चित ही चुनाव परिणाम भविष्य के गर्भ में है एवं इसकी ४ जून को घोषणा सभी के लिए आश्चर्यकारी एवं चमत्कृत करने वाली होगी। देश का अगला प्रधानमंत्री चुनने के लिए ४ चरणों के मतदान के बाद हर दल हवा का रुख भांपने को कोशिश कर रहा है, लेकिन उनका यह आकलन सत्य से परे हो, बिलकुल ही आधारहीन हो, इसे लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं माना जा सकता। यहां सत्ताधारी भाजपा से विपक्षी कांग्रेस तक सभी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ४०० का लक्ष्य आसानी से पूरा करने की बात कही, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष ने गठबंधन की सरकार बनने का दावा किया है।
भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जो वायदे किए, उन्हें पूरा किया। भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या में मन्दिर बना दिया ख़ुद को ‘पार्टी विद डिफ़रेंस’ कहकर भी प्रचारित किया और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का वादा भी पूरा किया। पिछले १० वर्ष में देश ने विकास की जो रफ्तार पकड़ी है, उसे देश एवं दुनिया खुली आँखों से देख रही है। फिर भी चुनाव का समय मतदाताओं के जागने एवं विवेक से मतदान करने की अपेक्षा करता है। मतदाताओं की यह जिम्मेदारी है कि, वे दलों की परख करें। झूठों की एकजुटता ही जगत में कष्टों की वजह है एवं लोकतंत्र को कमजोर करने का बड़ा कारण है। जब तक ईमानदार एकजुट नहीं होंगे, तब तक जगत की कोई समस्या हल नहीं होगी। इस
चुनाव को इसी विडम्बना से बचाना है।