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चुन्नू की अच्छी सोच

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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एक बार चुन्नू पड़ोसी के घर में रखे दहेज के सामान को देख रहा था।;फ्रीज, कूलर, कुर्सी, टेबल, सोफ़ा सेट, अलमारी सभी सामान अभी बाहर ही रखे थे।
पड़ोसी ने प्यार से चुन्नू को अपने पास बुलाया और कहा,-“बैठोगे सोफे पर, आओ बैठो। जानते हो ये सब सामान मुझे कहाँ से मिला है ?”

“नहीं”, चुन्नू ने कहा।
“मेरे बेटे की शादी में दहेज में मिला है। मेरे बेटे ने मेहनत करके सरकारी नौकरी प्राप्त की है, इसलिए उसे इतना सारा दहेज मिला है।”
चुन्नू ने कहा,-“अंकल ये सारा सामान तो बहुत पैसों का होगा!”
“हाँ, करीब ५ लाख रुपए का है।” पड़ोसी ने सीना तानकर कहा।
चुन्नू ने कहा,-“अंकल फिर तो दहेज देने वाले के ऊपर बहुत सारा कर्ज़ा हो गया होगा।”
“हो गया होगा, मुझे इससे क्या! आखिर मेरा बेटा सरकारी नौकर है।” पड़ोसी ने बड़े गर्व से कहा।
चुन्नू चुपचाप सारे सामान को निहार रहा था। उसके चेहरे पर उदासी सी छा गई।
पड़ोसी ने कहा,-“मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम सोच रहे हो कि, मैं भी एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा और बहुत सारा दहेज लूंगा, ठीक है ना!” पड़ोसी ने हँस कर कहा।
चुन्नू की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने कहा,-“नहीं अंकल, मैं सोच रहा हूँ कि, मैं भी एक दिन बहुत बड़ा अफसर बनूंगा और दहेज जैसे अभिशाप को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दूंगा।”

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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