हैदराबाद (तेलंगाना)।
राजभाषा और राष्ट्र भाषा में अंतर है, लेकिन इसकी जानकारी सभी सरकारी कर्मचारियों को भी नहीं है। केन्द्र सरकार के कार्यालय हिन्दी भाषा के माध्यम से जनसामान्य तक सूचनाएं पहुंचाने के लिए सरल भाषा का प्रयोग करेंगे, तो वह ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी। हमें गलतियों की ओर ध्यान न देकर सकारात्मक ढंग से सोचना चाहिए।
यह बात मुख्य वक्ता डॉ. वी. वेंकटेश्वर राव ने सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा आभासी रूप से आयोजित मासिक गोष्ठी में कही। इसके प्रथम सत्र में हिन्दी माह के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘हिन्दी भाषा के बढ़ते कदम’ विषय पर परिचर्चा रखी गई, जिसमें सबने अपने विचार व्यक्त किए।
प्रारम्भ में संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी का हार्दिक स्वागत किया। श्रीमती तृप्ति मिश्रा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करके गोष्ठी का शुभारंभ किया। ‘हिन्दी भाषा के बढ़ते कदम’ विषय पर परिचर्चा में विषय प्रवेश के रूप में सरिता सुराणा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ अपने बाजार विस्तार के लिए हिन्दी भाषी कर्मचारियों को नौकरी पर रख रही हैं। इससे हिन्दी भाषा में रोजगार की संभावनाएं बढ़ी है। धीरे-धीरे हिन्दी भाषा सम्पूर्ण विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाती जा रही है। इस सत्र में दर्शन सिंह और अमिता श्रीवास्तव की जिज्ञासा का समाधान डॉ. राव ने किया। अमृता श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
द्वितीय सत्र में हिन्दी दिवस और राष्ट्रीय बालिका दिवस से सम्बन्धित विविध रसों से परिपूर्ण रचनाओं का पाठ किया गया। इसमें बिनोद गिरि अनोखा, दर्शन सिंह, श्रीमती सपना श्रीपत, ज्योति गोलामुडी और तृप्ति मिश्रा आदि की उपस्थिति रही। सरिता सुराणा के धन्यवाद ज्ञापन से गोष्ठी सम्पन्न हुई।