एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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एक दिन तो सबको ही जाना है,
छूट जायेगा यहीं पर सारा ताना-बाना है।
अमर नहीं जीवन,बस करो कर्म अच्छे-
गिनती की साँसें,गिनती का ठिकाना है॥
जब आता बुलावा,चलता नहीं बहाना है,
इस सृष्टि का यह सच यही फसाना है।
इसलिए कहते कि,करो कुछ उपकार भी-
प्रभु के पास जाकर,वह हिसाब दिखाना है॥
गिने हुए श्वांस का ही,यह सारा खेल है,
नहीं किया मेल सबसे,तो होगा सब बेमेल है।
यह दुनिया का मेला,मिला है बहुत सौभाग्य से-
पानी के बुलबुले-सी,यह जीवन रेल है॥
जाने कब जिन्दगी की,शाम आ जाये,
जाने का बुलावा,उसका पैगाम आ जाये।
सबसे बना कर रखो,दिल की नेक नियत से-
जाने किसकी दुआ,जिंदगी के काम आ जाये॥