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जिंदा रखो सपने

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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कभी सपनों में दिखते हो,
कभी दिल में आ जाते हो
तुम्हारी यही अदाएं तो,
हमें बहुत ही भाती हैं
तुम्हारे दिल की धड़कनें,
तुम्हें क्यों तड़पाती हैं
और अपने वालों को तुम,
क्यों मिलने बुलाते हो।

कोई है काम का मारा,
कोई है नाम का मारा
मेरी सोंच इन दोनों से,
बहुत ही अलग है
मैं करता हूँ जो भी,
बिना किसी स्वार्थ के
तभी तो जागेगी इंसानियत,
लोगों के दिल-दिमाग पर।

न कोई छोटा-बड़ा है,
मेरी नजरों में लोगों
न कोई भेद रखता हूँ,
जाति और धर्म पर
समान भाव रखता हूँ,
हर किसी मजहब पर
इसलिए मैं सर्वोदय,
विचारधारा को जिंदा करता हूँ।

अभी तो आलम कुछ,
अलग तरह का चल रहा
सभी इंसानों के दिल में,
कुछ तो प्रेम उमड़ रहा है
भूलकर पैसे और शोहरत को,
अब वो इंसानियत को जी रहा
और अपने मानव धर्म को,
बहुत अच्छे से निभा रहा।

बदल जाएगी तकदीर,
अपने भारत की अब
क्योंकि समझ गया है इंसान,
आपस में लड़ने का मतलब
भलाई और भाईचारे से,
रखो प्यार मोहब्बत को जिंदा।
लड़ाई और दुश्मनी से,
कुछ भी हासिल नहीं होता॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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