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जीना मुश्किल

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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सत्य को सत्य कहना मुश्किल हो गया है,
अब तन्हाई में जीना मुश्किल हो गया है।

रवैया देखा है जब से लोगों का हमने,
साथ में रहना मुश्किल हो गया है।

तन्हा चले थे कारवां से अलग हो कर,
कारवां का मिलना मुश्किल हो गया है।

लोग देने लगे हैं अल्फाजों के ताने,
अब तो ताने सहना मुश्किल हो गया है।

जिन बातों से दिल को सुकून मिले,
उन बातों को सुनना मुश्किल हो गया है।

लगे रहते हैं लोग रात-दिन निंदा करने में,
लोगों के बीच रहना मुश्किल हो गया है।

एक कतार में उड़ा करते थे पक्षी कभी,
उस कतार का मिलना मुश्किल हो गया है।

महफ़िल में कभी शमां जला करती थी,
उस शमां का जलना मुश्किल हो गया है॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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