नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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मेरा साथ निभाना साथी,मैं संकट से उबर जाऊँगा।
टूटा साथ अगर ये तेरा,मैं शीशे-सा बिखर जाऊँगा॥
तेरे दम पर साँसें चलतीं,
तेरे दम पर पग बढ़ते हैं।
तेरे दम पर रातें कटतीं,
तेरे दम पर दिन ढलते हैं।
जीवन-किश्ती तू ही मेरी,
मैं उस पार उतर जाऊँगा।
जीवन है तो संकट भी हैं,
जीवन है तो गम भी घेरे।
जीवन है तो पग-पग काँटे,
जीवन है तो पास अँधेरे।
बावजूद गर सँग में तू है,
मैं बेपरवाह निखर जाऊँगा।
चाहत में होती है ताकत,
चाहत जादू कर दिखलाये।
चाहत में बहती है खुशबू,
चाहत चंदन बन महकाये।
तू ही चाहत, तू ही साथी,
साथ निभा दे सँवर जाऊँगा।
टूटा साथ अगर ये तेरा,
मैं शीशे-सा बिखर जाऊँगा…॥