मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
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सुख और दु:ख सब हमारे, कर्मों का हिसाब,
जैसा कर्म किया वैसा, फल पाओगे जनाब।
दु:ख को मत समझो, कभी अपनी किस्मत,
जो कुछ पाया है वो सब, कर्मों की बदौलत।
भगवान हमारी किस्मत, कभी नहीं,
हमारे कर्मों का फल, हमारे जीवन में आता।
किसी की किस्मत कभी, बनी हुई न रहती,
हर आत्मा खुद ही, अपनी किस्मत लिखती।
जो करेगा सो पाएगा, यही भाग्य का नियम,
कर्म करना रखकर सदा, मर्यादा और संयम।
ईश्वर पे दोष लगाते, जब अकाल मृत्यु आए,
अपने कर्मों का है फल, समझ न कोई पाए।
रोग लगे जब तन को, न लगे कुछ भी स्वाद,
हर पल करते रहते हम, केवल प्रभु को याद।
झूठ कहता है मानव, कि ईश्वर ही दु:ख देता,
दु:ख न मिलता अगर, कर्मों को सुधार लेता।
समय दु:ख का हो, तो परमात्मा याद आता,
फिर क्यों हर कोई, उस पर आरोप लगाता।
जिसने दु:ख दिया, उसे याद किया न जाता,
हर कोई अपने ही, कर्मों से सुख-दु:ख पाता।
जब कभी बुरा समय, हमारे जीवन में आता,
अनायास मुख से, हे भगवान निकल जाता।
ईश्वर दु:ख किसलिए देगा, वो तो है सुखदाता,
दु:ख मिटाने के लिए, नाम उसका याद आता।
हमारे दुखों के लिए, केवल हम हैं जिम्मेदार,
आज नहीं तो कल, करना होगा ये स्वीकार।
हमारे सभी दुखों के, हम सभी हैं जन्मदाता,
लेकिन इनको भोगे बिना, छूट न कोई पाता।
विकर्म करके मानव, रोज उलझता ही जाता,
दुखों का असली कारण, पहचान नहीं पाता।
हर दु:ख का कारण, परमपिता ने ही बतलाया,
दुखी वही जिसने, पांच विकारों को अपनाया।
धन, सम्पत्ति और शरीर, ये दु:ख कभी न देते,
मन, बुद्धि पवित्र हो, तो जीवन भर सुख देते।
दिव्य गुणों से सबको, परमपिता ने सजाया,
लेकिन पांच विकारों को, हमने ही अपनाया।
पांच विकारों को जिसने, समझ लिया पराया,’
उसके जीवन में सुख, स्वयं ही दौड़कर आया।
विकारों से मुक्ति के लिए, राजयोग अपनाओ,
अपने दुखी जीवन को, फिर से सुखी बनाओ॥
परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’