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जीवन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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उदास क्यों हो ?
क्यों ठंडी
आहें भरते हो ?
निराशा ने क्यों,
तुमको पकड़ा है ?
मजबूरियों ने क्यों,
तुमको जकड़ा है ?
वक़्त से नाराज़ क्यों ?
तक़दीर से,
शिकायत कैसी ?
निकल कर
एक बार तो देखो,
अपने ही
बनाये दायरे से।
फिज़ाओं की
ठंडी हवा की ठंडक,
अपने अंतर्मन से
महसूस करो।
भर लो,
अपनी बाँहों में
विस्तृत आकाश को।
सप्तरंगीय इंद्रधनुषीय,
सपनों में भर दो
अपनी आशाओं के,
रंगीन रंग।
एक बार,
सिर्फ़…
एक बार,
लगाओ उन्मक्त-सा,
ठहाका।
पल भर में
निचोड़ लो,
अपने सम्पूर्ण
जीवन का सार।
क्योंकि…
सिर्फ साँस,
लेने का
नाम ही तो
जीवन नहीं हैll

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।