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ज्ञान की महिमा अपरम्पार

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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जीवन में संकट की मार, खोले है सब बंद द्वार,
खुद को करो ऐसे तैयार, तोड़ दो सारे मुश्किल द्वार।

कर दो कुछ ऐसे चमत्कार, भूल न पाए आपको संसार,
मत मानो तुम कभी भी हार, हँस कर कर लो संकट पार।

मत पालो मतलब के यार, झूठों से ये भरा संसार,
हरदम मेहनत करते रहना, सपने यों होंगे साकार।

जीवन ये जैसे गिटार, संगीत बजे जो छू लो तार,
संगीत बने खा-खा कर मार, ढोलक भी कितनी गँवार।

कहे ‘उमेश’ कविता हर बार, हिंदी से ही चले परिवार,
लिखना-पढ़ना है श्रृंगार, ज्ञान की महिमा अपरम्पार॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।