डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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जीवन्त लेखन का थे एक उपहार,
प्रेमचंद थे एक सुंदर युग अवतार।
ग्रामीण प्रवृत्तियों से होती थी खूब मुठभेड़,
सामाजिक न्याय के थे एक योद्धा पुरजोर।
‘पंच परमेश्वर’ कृति से खूब दिए वो दिव्य ज्ञान,
आज जीवित है चहकती, देती अद्भुत मुस्कान।
स्वाभिमान का उन्होंने पाठ पढ़ाया,
लेखनी में यह खूब सौन्दर्य दिखाया।
सामाजिक सरोकार था उनका आधार,
लेखनी में दिखता था यह खूब आभार।
मातृभाषा और आस्था के खूब संग,
हर पल दिखता था उनमें यह रंग।
जनमानस से खूब थी जुड़ने की होड़,
उर्दू छोड़ हिंदी पथ पर लेखनी पुरजोर।
क़लम के अमर सिपाही की है पहचान,
आज भी हैं बने हैं सबसे उत्कृष्ट महान।
राष्ट्र सम्मान का था संकल्प,
हर पल रहते रहें बनें प्रकल्प।
हिन्दी साहित्य का एक युग अवतार,
कथा साहित्य का अपूर्व एक श्रृंगार।
आओ हम-सब मिल एक श्रेष्ठ लेखनी को दें एक उपहार,
सम्मान और आदर देते हुए खूब दें उन्हें दिल से खुशियाँ अपार॥
परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।