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नींद का करार है दोस्ती

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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फूल की खिलती कली जैसे बहार है दोस्ती,
दोपहर चैन भरी नींद का करार है दोस्ती
दोस्त रेशमी भरोसे भरे नाजुक बंधन हैं,
अमावस में कतरा-ए-नूर ऐतबार है दोस्ती।

भीनी महकता पारिजात बौछार है दोस्ती,
झीनी चादर चंदैनी का दुलार है दोस्ती
केशर की क्यारी में धीमे चलने की आहट,
किसी झील के शिकारे में पतवार है दोस्ती।

जिसकी उम्र ता-उम्र रहेगा वो प्यार है दोस्ती,
बिकती हो खुशी जहाँ वो बाजार है दोस्ती
थिरकते झिलमिल सितारों चलने का एहसास,
नफे में चलने वाला कारोबार है दोस्ती।

सौगातों बातों कहकहे भरमार है दोस्ती,
पहली तारीख जैसे मिली पगार है दोस्ती
पहली बूंद स्वाति से तृप्त चकवे प्यास जैसी,
दोस्त पर सब कुछ लुटाने तलबगार है दोस्ती।

पहली घूंट सुबह चाय सँग अखबार है दोस्ती,
दूर किसी मंदिर गूंजती सितार है दोस्ती,
समंदर में उड़ते गुब्बारे के नजारे से,
गेंहूँ के खेतों में बहती बयार है दोस्ती।

सर्दियों जलते सिगड़ी कोयले की गरम आँच,
चेहरे चूमती सावन की फुहार है दोस्ती,
सुबह धूप में बनी बिगड़ती लंबी परछाई,
शाम को उड़ते बगुलों की कतार है दोस्ती।

होली बाद गुलाबी सूरत दरार है दोस्ती,
गंगा में दीपदान से त्यौहार है दोस्ती।
हरे मेंहदी पत्तों में छुपे हुए लाल रंग,
बरसाती नदी की बाढ़ पर धार है दोस्ती॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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