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तिरंगा

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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दिलों में हमेशा कहानी रहेगी,
सजे ध्वज हरदम रवानी रहेगी।

हुई सुबह पंद्रह अगस्त सुहानी,
फिजा देश अपनी रुहानी रहेगी।

नियत में जहर भर निगाहें उठाए,
लिखे उसकी फानी जवानी रहेगी।

तिरंगा गगन शान से फरफ़राए,
महकती कली रातरानी रहेगी।

गले लग के देंगें बधाई सभी को,
जलनखोर से दरमियानी रहेगी।

दी देश पर जान वीरों ने अपनी,
कुर्बान शहीदे निशानी रहेगी।

गए वे हमें दे आजाद भारत,
सुबह,शाम अब जाफरानी रहेगी।

न जाने कभी देंगे बलिदान उनका,
कसम हिंद अब ये नूरानी रहेगी॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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