प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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लाली पीली बैगनी,बागों खिलते फूल।
उपवन में रहते सभी,कलियाँ जाती झूल॥
कलियांँ जाती झूल,प्रेम की बात बताती।
अपनी खुशबू संग,बाग को वह महकाती॥
रंग-बिरंगे फूल,सजे पेड़ों की डाली।
मधुर-मधुर मुस्कान,बिखेरे सुंदर लाली॥
काँटे सँग रहते सदा,सुंदर-सुंदर फूल।
कोमल-कोमल पंखुड़ी,नहीं चुभते शूल॥
चुभे कभी नहिँ शूल,बीच रहकर मुस्काती।
सदा बाँटती प्रेम,ईश चरणों में जाती॥
ममता के ये फूल,हमेशा खुशियाँ बाँटे।
मिले ईश वरदान,करे रक्षा ही काँटे॥