कुल पृष्ठ दर्शन : 204

You are currently viewing तुम मेरे पारस पत्थर हो

तुम मेरे पारस पत्थर हो

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
***********************************

यह ज़िन्दगी है तुम्हारी,
मैं तो एक गरीब आदमी यहां
तुम मेरे पारस पत्थर हो,
तेरे बगैर नहीं है जहां मेरा यहां
ज़िन्दगी सुनसान न हो,
तुम्हारी जरूरत पड़ती रहती है यहां
आपका एक नियमित आधार,
मुझे हरपल राहत है देता यहां
मैं एक निश्छल मन का,
भोला रूप है श्रंगार यहां
तेरे आशीर्वाद और सानिध्य के बगैर,
सारा सूना है संसार यहां।

ज़िन्दगी की भीड़-भाड़ में तुम ही हो,
पथ प्रदर्शक बन कर एक अवतार यहां
तेरे बगैर नहीं रह गया है,
सुखमय जीवन संसार यहां
मुसीबतों से छुटकारा मिल सकता है,
हरपल हर क्षण तेरे साथ रहकर यहां
तुम मेरे पारस पत्थर हो,
तेरे बगैर ज़िन्दगी में कुछ है ही नहीं यहां।

संकट में हर पल आपकी मदद,
सदैव आगे बढ़ते हुए मिल जाती है
दुःख और मुसीबत में एक मजबूत,
सम्बल और सुदृढ़ मदद मिल जाती है
तेरी कृपा मिलती रही यहां,
जीवन शैली सुन्दर बन कर धन्य हुई।

मेरे सुख दुःख पर तुम बने रहे रखवाले मेरे,
पवित्र भाव से सदैव रक्षा कवच बन कर रहे मेरे
ज़िन्दगी की ऊंचाईयों को हमने,
मजबूती से यहां अब पाया है
ज़िन्दगी एक सवाल बने न कभी,
यह एक उत्तम पाठ पढ़ाया है।

जीवन शैली में जब-जब मरूस्थल का तूफान उठा,
आप अपने सम्बल प्रयास से लगा मुझमें सम्मान जुटा
आशीर्वाद स्नेह की धरती पर तुम जैसे अवतार मिले,
प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का जैसे समुचित उपहार मिले।
आज़ धरती पर तुम जैसे एक उत्तम उपचार मिले,
ज्ञानोदय में खुशहाली लाने जैसे तुम अवतार मिले॥

परिचयपटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

Leave a Reply