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दर्दभरी तारीख

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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लानत है दुष्ट फिरंगी तुम पर,कठोर निर्णय करते थे,
स्वार्थ लालच में आकर के,तुम निर्मम हत्या करते थे।

अप्रैल की पहली तारीख को,तुमने खुशी मनाई दु:ख देकर,
रुलाया हिन्दुस्तानी को,भारतीय परमवीर को फांसी देकर।

भारतीय नारी ‘माॅ॑’ देश के लिए अपने पुत्रों को खोई थी,
भारत भूमि हो आजाद,इसलिए बिलख के नहीं रोई थी।

भारतीय माटी में पले-बढ़े,अपने भारत देश पर नाज है,
जो दु:ख की घड़ी बीती ओ,हृदय में वेदना भी आज है।

हे वीरों हम आपके सगे-संबंधी,आज खून के आँसू रोए थे,
अप्रैल की पहली तारीख में,जब हम सब आपको खोए थे।

धरती की वीरांगनाएं बहन-बेटी,पावन माटी में मिल गई,
बलिवेदी पर सिर रखते हुए भारत माता की जय कह गई।

अप्रैल की पहली तारीख,बनाया मूर्ख फिरंगी ने हम सबको,
हिन्दुस्तानी सेना भी कम नहीं थी,मार भगाया हर फिरंगी को।

त्याग-तपस्या की बदौलत,भारत देश स्वतंत्र है हमारा,
देश की रक्षा करना,धर्म-कर्म-फर्ज अब सब है हमारा॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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