कुल पृष्ठ दर्शन : 297

You are currently viewing दस्तक

दस्तक

अरुण वि.देशपांडे
पुणे(महाराष्ट्र)
***************************************

बंद दरवाजे पर,
दस्तक देकर
सालों बाद खोले,
उस बंद घर को
जिसमें लोग रहते तो हैं,
लेकिन खुद में खोए हुए हैं।

दस्तक देकर,
खोले हर कमरे की खिड़की
फिर आएगी कमरे में,
सुबह की धूप सुनहरी
पुरानी सोच जाए उड़ के,
नई सोच के आने से।

दस्तक दे रहे हैं कब से,
आलमारी के अंदर से
पुराने दोस्त ही हैं यह सब,
‘किताबें’ नाम है इनका
आओ फिर से शुरु करें,
एक नया पर्व पढ़ने का।

दस्तक एक अच्छा पर्याय है,
नया सिलसिला शुरू करने का॥

परिचय-हिंदी लेखन से जुड़े अरुण वि.देशपांडे मराठी लेखक,कवि,बाल साहित्यकार व समीक्षक के तौर पर जाने जाते हैं। जन्म ८ अगस्त १९५१ का है। आपका निवास पुणे के बावधन (महाराष्ट्र) में है। इनकी साहित्य यात्रा प्रिंट में १९८३ से व अंतरजाल मीडिया में २०११ से सक्रियता से जारी है। श्री देशपांडे की लेखन भाषा-मराठी,हिंदी व इंग्लिश है। आपके खाते में प्रकाशित साहित्य संख्या ७२(प्रकाशित पुस्तक,ई-पुस्तक)है। आपके हिंदी लेख, बालकथा,कविता आदि नियमित रूप से अनेक पत्र-पत्रिका में प्रकाशित होते हैं। सक्रियता के चलते अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता में आपके लेख और कविता को ‘सर्वश्रेष्ठ रचना’ से सम्मानित किया गया है तो काव्य लेखन उपक्रम में भी अनेक रचनाओं को ‘सर्वश्रेष्ठ’ सन्मान प्राप्त हुआ है। आप कृष्ण कलम मंच के आजीवन सभासद हैं। हिंदी लेखन में सक्रिय अरुण जी की प्रकाशित पुस्तकों में-दूर क्षितिज तक(२०१६)प्रमुख है। इसके अलावा विश्व साझा काव्य संग्रह में २ हिंदी बाल कविता(२०२१) प्रकाशित है। शीघ्र ही ‘जीवन सरिता मेरी कविता'(१११ कविता,पहला हिंदी काव्य संग्रह)आने वाला है। फेसबुक पर भी कई हिंदी समूह में साहित्य सहभागिता जारी है।

 

Leave a Reply