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दिखावा

शीलाबड़ोदिया ‘शीलू’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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नवरात्रि में कन्याओं को बांटने के लिए हेमा केले खरीद रही थी, तभी गंदी-सी झोपड़पट्टी की २ लड़कियाँ आई। “मैडम हमें भूख लगी है, हमें केले दे दो ना”, लेकिन हेमा ने उन्हें डांटकर भगा दिया। “जाने कहाँ से मुँह उठा कर चले आते हैं और सारा दिन खराब कर देते हैं। जाओ, यहाँ से।”
तभी फलों की दुकान वाला बोला- “मैडम और क्या चाहिए ?”
“, हाँ भैया, 1 किलो सेब भी दे दो। कितने ₹ हुए ?”
“मैडम ढाई सौ ₹।”
“अभी पेटीएम करती हूँ।
फल वाला बोला,-“जी मैडम।आपने इतने केले लिए हैं तो घर में बहुत सारे लोग होंगे, ना या व्रत करते होंगे!”
“नहीं भैया, गरबा पांडाल में लड़कियों को आज केले बांटना है इसलिए इतने केले लिए हैं।” और हेमा फलों को कार में रख चलती बनी।
तभी एक साधारण-सी महिला आई और एक दर्जन केले खरीदने लगी। इतने में वही लड़कियाँ फिर आई। वह ललचाई नजरों से केलों की तरफ देख रही थी। तभी उस महिला ने उनमें से केले निकाल कर १-१ केला दे दिया। यह लो बेटा, वैसे भी मैं लड़कियों को बांटने के लिए ही है ले रही हूँ।”
फल वाला बोला,-“बहन जी लोगों के पास जितना ज्यादा पैसा होता है, उनका दिल उतना छोटा होता है। दान करेंगे, लेकिन दिखावे के लिए करते हैं। जिन गरीब बच्चों को भूख लगी होती है, उन्हें कोई नहीं देता। अभी-अभी एक बड़े घर की मैडम कार लेकर आई थी और २ दर्जन केले लेकर गई, लेकिन बेचारी गरीब लड़कियों ने मांगा तो उन्हें १ केला भी नहीं दिया। उन्हें डांट कर भगा दिया।” “सही बात है भैया, आजकल दिखावे का ही तो जमाना है।”

परिचय-शीला बड़ोदिया का साहित्यिक उपनाम ‘शीलू’ और निवास इंदौर (मप्र) में है। संसार में १ सितम्बर को आई शीला बड़ोदिया का जन्म स्थान इंदौर ही है। वर्तमान में स्थाई रूप से खंडवा रोड पर ही बसी हुई शीलू को हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषा का ज्ञान है, जबकि बी.एस-सी., एम.ए., डी.एड. और बी.एड. शिक्षित हैं। शिक्षक के रूप में कार्यरत होकर आप सामाजिक गतिविधि में बालिका शिक्षा, नशा मुक्ति, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को समझाओ अभियान, पेड़ बचाओ अभियान एवं रोजगार उन्मुख कार्यक्रम में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, गीत और जीवनी है। प्रकाशन के रूप में काव्य संग्रह (मेरी इक्यावन कविता) तथा १५ साझा संकलन में रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। इनको मिले सम्मान व पुरस्कार में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड सम्मान (साझा संकलन), विश्व संवाद केंद्र मालवा (मध्य प्रदेश) द्वारा सम्मान, कला स्तम्भ मध्य प्रदेश द्वारा सम्मान, भारत श्रीलंका सम्मिलित साहित्य सम्मान और अखिल भारतीय हिन्दी सेवा समिति द्वारा प्रदत्त सम्मान आदि हैं। शीलू की विशेष उपलब्धि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में रचना का शामिल होना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य साहित्य में उत्कृष्ट लेखन का प्रयास है। मुन्शी प्रेमचंद, निराला, तुलसीदास, सूरदास, अमृता प्रीतम इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज गुरु हैं। इनका जीवन लक्ष्य-हिन्दी साहित्य में कार्य व समाजसेवा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी रग-रग में बसी है।”