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दिल का क्या कसूर

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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दिल का क्या कसूर है,
जो तुमसे दिल लगा दिया।
दिल ने तुम्हें चाहा,
तुम्हें सब कुछ बता दिया॥

तुम्हारी चाहत को,
खुद ने अब स्वीकार किया।
इस दिल ने अब तुमसे,
तुमसे ही तो प्यार किया॥

आज दिल मजबूर है,
क्यों तुमसे आज दूर है।
ये चाहत में हारा,
फिर दिल का क्या कसूर है…!!

तुम्हारी मोहब्बत,
मेरे दिल की चाहत है।
दिल ने तुमको पूजा,
तुम्हारी मोहब्बत है॥

सब कुछ तुम्हारा है,
फिर क्यों आज मजबूर हो!
तुमने दिल से चाहा,
फिर मेरा क्या कसूर है॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।