कुल पृष्ठ दर्शन : 290

You are currently viewing दिवाली की क्या पूजा है!

दिवाली की क्या पूजा है!

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
*****************************************

त्रेता काल की दिवाली भारत में, कलियुग में भी मनाते हैं
सनातन धर्मी देश के वासी हम, पुरखों की रीत चलाते हैं।

दशहरे के बीसवें दिन जब,
राम अयोध्या में लौट आते हैं
उनके आने की खुशी में लोग,
घर-घर घी के दीप जलाते हैं।

राम आगमन का पर्व है तो, लक्ष्मी गणेश क्यों पूजे जाते हैं ?
राम-सीता की पूजा हो फिर ?
चलो राज यह भी समझाते हैं।

सतयुग में जब सागर मंथन हुआ, घटना तब की पुरानी है
दिवाली को लक्ष्मी-गणेश पूजन की, उससे जुड़ी कहानी है।

मंथन में कार्तिक अमावस्या को, लक्ष्मी सागर से जन्मी थी
तब से पूजा उसकी करते सब, उस दिन माँ जगजननी की।

धन की वह देवी है तो, उसके अपार वैभव और खजाने हैं
उनके संचालन हेतु माँ ने,
कुबेर से कहा-“तुम्हें ये चलाने हैं।”

कृपण कुबेर ने भरे खजाने,
धन वैभव किसी को न बांटा
अपने भगतों की सुन माता ने,
हरि इच्छा से गणेश छांटा।

इधर संयोग से कार्तिक अमावस्या को, राम अयोध्या लौटे हैं
तब से दिवाली चलन में आई, सच यह है, हम तो मुखौटे हैं।

दिवाली के दिनों विष्णु है सोते, लक्ष्मी गणेश जी घूमते हैं।
देव उठनी एकादशी उठते,
लक्ष्मी-गणेश लोगों की सुनते हैं।

मानस पुत्र गणेश माँ लक्ष्मी के, भगतों को खुल कर देते हैं
इसीलिए वे हर पूजा में लक्ष्मी जी, की बगल में ही रहते हैं।

भूल गए नई पीढ़ी के लोग,
सनातन धर्म की व्यवस्थाओं को
त्यौहारों का सही ज्ञान,
समझाओ सामाजिक संस्थाओं को।

बच्चों को यह पता चले भारत में, दिवाली की क्या पूजा है ?
लक्ष्मी-गणेश का विषय अलग है,
सीता राम फिर का दूजा है॥