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धन्य-धन्य हे! कृषक देव

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष…..
 

धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो।
सच्चे पूत तुम्हीं धरती के,मेहनत करके खाते हो।
चिन्तन एक तुम्हारे मन में,कैसे अन्न अधिक उपजे।
जाड़ा-गर्मी वर्षा-ओला,आँधी से टकराते हो॥

श्रम करते दिन-रात लगन से,रूखा-सूखा हाथ लगे,
हरी-भरी धरती करने को,कुल- कुटुम्ब सब साथ लगे।
अर्पित तन-मन करते अपना,मानव धर्म निभाते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो…॥

कर्मवीर सबसे महान तुम,क्लेश सभी का हर लेते,
खून-पसीना एक बनाकर,सबकी झोली भर देते।
बड़े-बड़े उद्योगों का आधार तुम्हीं बन जाते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,मेहनत करके खाते हो…॥

आदिकाल में अन्न उगाकर,तुमने संस्कृति सर्जित की,
तुम्ही सभ्यता के संवाहक,परम्पराएँ पोषित की।
सोने की चिड़िया भारत को,तुम ही तो बनवाते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो…॥

भारत के त्योहार तुम्हीं से,पोंगल बैसाखी,होली,
रबी-ख़रीफ़ फ़सल ज़ायद की,बिहू भांगड़ा की टोली।
हरित-क्रांति लाने वाले तुम,श्वेत-क्रांति भी लाते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो…॥

खेतों में सोना उपजाना,मातृभूमि को शीश झुकाना,
क़र्ज़ तले जब-जब भी डूबे,दुखिया जीवन का हो जाना।
फाँसी के फंदे को क्यों तुम,अपने गले लगाते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो…॥

सरकारों से यही अनुग्रह,दशा-दिशाएँ बदलें अब,
सरकारें कुछ जागें-सोचें,बेहतर जीवन होवे तब।
हो विकास चौतरफ़ा सबका,बात यही दोहराते हो,
धन्य-धन्य हे! कृषक देव तुम,सबकी भूख मिटाते हो…॥

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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