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बच्चों तक बाल साहित्य नहीं पहुंच रहा

ऑनलाइन कार्यशाला….

अल्मोड़ा (उत्तराखंड)।

बच्चों तक बाल साहित्य नहीं पहुंच रहा है। बच्चे मोबाइल से चिपके रहते हैं,यह सही नहीं है। जागरूक अभिभावक बच्चों को रचनात्मक कार्यों एवं साहित्य से जोड़ रहे हैं। बाल प्रहरी के ३०० ऑनलाइन कार्यक्रम में देश के लगभग १५ राज्यों के १६०० बच्चे जुड़ रहे हैं। ये कहीं न कहीं अभिभावकों के सहयोग से ही संभव है।
‘ऑनलाइन कार्यक्रम में बच्चों की सक्रियता’ विषय पर बच्चों की पत्रिका ‘बाल प्रहरी’ तथा बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के ३००वें ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. हूंदराज बलवाणी (अहमदाबाद,गुजरात) ने यह विचार व्यक्त किए।
बाल प्रहरी की अभिभावक सुझाव समिति के सदस्य मंगल कुमार जैन ने बताया कि,कार्यशाला का कुशल संचालन मिकाडो इंटरनेशनल स्कूल (राजस्थान) की छात्रा पाखी जैन ने किया। अर्जरागिनी सारस्वत, मीमांसा भट्ट,अनेरी पोद्दार (इंदौर),चिन्मयी शर्मा तथा अधिश्री सिंह आदि बच्चों ने भी ऑनलाइन कार्यशाला के अपने अनुभव साझा किए।
प्रारंभ में प्रहरी के सम्पादक उदय किरौला ने अतिथि स्वागत करते हुए रूपरेखा प्रस्तुत की। अध्यक्षा दिल्ली की प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ. शकुंतला कालरा ने कहा कि बाल प्रहरी की कार्यशाला से जहां बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल रहा है,वहीं बच्चे राष्ट्रभाषा हिंदी को समृद्ध कर रहे हैं।
विशिष्ट अतिथि उप संपादक प्रकाश तांतेड़ (राजसंमद) ने कहा कि कोरोना काल में बालप्रहरी की ऑनलाइन कार्यशालाएं कहीं न कहीं बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हुई है। अलग-अलग विषयों की विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जाना चाहिए।
उत्तराखंड शिक्षा विभाग के उप निदेशक आकाश सारस्वत ने कहा कि बच्चे जहां कहानी, कविता तथा चुटकुले व पहेलियों से अपना मनोरंजन करते हैं,वहीं बच्चों को पाठ्य पुस्तक से जोड़ने का भी सार्थक प्रयास हो रहा है।
इस अवसर पर बाल साहित्यकार मंगल कुमार जैन,हरदेव धीमान,विमला रावत,गंगा आर्या, प्रकाश पांडेय,कृपालसिंह शीला,श्यामपलट पांडेय, शिवदत्त तैनगुरिया,डॉ. अर्पणा रावत,मोहिनी बाजपेयी (अमेरिका),सुमित श्रीवास्तव,बीना भट्ट आदि ऑनलाइन कार्यक्रम से जुड़े रहे। खंडवा (मप्र)के डॉ.अशोक कुमार नेगी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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