सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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धरती हमको जीवन देती,
सब जीवों को आश्रय देती
सकल प्राणियों को है धारे,
दे सबको कीमती सहारे।
नदियाँ, निर्झर शीतल स-नीरे,
नग-मेखला की ‘छटा न्यारे
वन-सम्पदा खुशहाल सारे,
बहती-सौरभ प्राण समीरे।
अनमोल साधनों की धारे,
अगणित धातु, तत्व की धारे
ठोस ईंधन मृत जीव धारे,
प्रकृति देती उपहार सारे।
पोषण करती सबका भारी,
अन्न-तिलहन से महक न्यारी
हैं, जड़ बूटियाँ शैल भारी,
मातृ-सा नेह सर्व संचारी।
सहनशीलता हमें सिखाती,
ममता, संवेदना सिखाती
पर दु:ख कातरता सिखाती,
धरती मातु जीना सिखाती।
वृक्ष अधिकता कटाई होगी,
शून्य हरापन, बंजर होगी
अन्न, जल, वायु, क्या ही होगी,
प्राण ‘संकट की घड़ी’ होगी।
स्वच्छ भू सबकी खुशहाली,
प्रकृति खिलवाड़ हो बदहाली
प्रकृति संरक्षण है खुशहाली,
अति सं-साधन व्यय बेहाली।
धरती सुरक्षा पेड़ जरूरी,
संसाधन रक्षा है जरूरी
प्लास्टिक, रसायन क्या जरूरी!
है, वक्त संभलना जरूरी।
लें प्रण भू, प्रबंधन जरूरी,
प्रदूषित रहित, कदम जरूरी।
करो ‘वृक्ष रोपण’ अति जरूरी
‘पृथ्वी दिवस’ हर दिन जरूरी॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।