श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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उपवास और आराधना….
अपनी प्यारी भारत भूमि में, धर्म ही धर्म है,
भारतीय को धर्म का पालन करना ही कर्म है।
भारतीय करते हैं घरों में, उपासना-आराधना,
पूजा-जप-तप से देवी-देवताओं को मनाना।
उपासना-आराधना करके इच्छित फल पाते हैं,
इच्छित फलों को देकर, देव-देवी मन में हर्षाते हैं।
भारतीय नारी तीज-त्यौहार में उपासना करती है,
कुल-परिवारों के लिए, आराधना करती रहती है।
माता पार्वती ने भी आराधना कर शिवजी को पाया है,
महादेव के लिए उपासना करके, वर्षों वक्त बिताया है।
कोई निर्जला, कोई फलाहार उपासना करते हैं,
देवभूमि के साधु-सन्त प्रभु की आराधना करते हैं।
यथाशक्ति तथा भक्ति के अनुसार दान-पुण्य करते हैं।
अपनी देव भूमि की माटी से, माथे तिलक लगाते हैं।
उपासना से हरेक मानव की कंचन काया भी होती है,
नित्य नियम धर्म-कर्म पालन करने से पीड़ा दूर होती है॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |