ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जन्माष्टमी विशेष…………
मोहन धुन गा गा कर,बाँसुरी बजाता है,
ता थयिया ता ता कर,संसार नचाता है।
हृदय को भा भा कर,देह कभी छा छा कर,
मानस में धा धा कर,दुनिया दौड़ाता है।
भोला बन माँ माँ कर,बलदाऊ दा दा कर,
फफक रोए फा फा कर यशोदा मनाता है।
गृह कहते घा घा कर,नन्दलाल बा बा कर,
बोल मीठ डा डा कर,तोतली लुभाता है।
काली दह रा रा कर,गिरा गेंद ला ला कर,
यमुना से टा टा कर,विषैला भगाता है।
पनघट में जा जा कर,सखियों को या या कर,
निर्वसना ना ना कर,वो वसन छुपाता है।
वन पर्वत था था कर,माखन वो खा खा कर,
गोकुल में हा हा कर,गईया चराता है।
मधुबन में आ आ कर,राधा को पा पा कर,
गोपी सँग झा झा कर रास रस रचाता है।
दुष्टों को का का कर दानव को वा वा कर,
बैरी को ठा ठा कर,पछाड़ रुलाता है॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।