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नवरूप और नवरंग

मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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आदिशक्ति माँ दुर्गा (नवरात्रि विशेष)…

नौ देवी के नौ रूपों की आराधना का है पर्व,
श्रद्धा, आस्था और नव ऊर्जा की शक्ति समेटे, सभी है भाव विभोर।

प्रथम रूप में माँ शैलपुत्री कहलाई,
हौंसलों में चट्टानों-सी मजबूती हो तो मिलती है सफलता,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

द्वितीय रूप में माँ ब्रह्मचारिणी कहलाई,
मंजिल तक पहुंचना है तो अनुशासन व आचरण रखे उत्तम,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

तृतीय रूप में माँ चंद्रघंटा कहलाई,
शांति का अनुभव होना व जीवन की हर परिस्थिति में संतुष्ट रहना,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

चतुर्थ रूप में माँ कुष्मांडा कहलाई,
माता का यह रूप करता है सभी को भयमुक्त,
‘भय’ जो सफलता की राह की है मुश्किल, उसे करती है दूर,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

पंचमी रूप में माँ स्कंदमाता कहलाई,
जिन्होंने बताया कि शक्ति का संचय होना, व सृजन की क्षमता होना
यह दोनों खुलते हैं सफलता के द्वारा,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

षष्ठी रूप में माँ कात्यायनी कहलाई,
स्वास्थ्य की देवी बन रोग मुक्त शरीर के साथ सफलता प्राप्त होती है,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

सप्तमी रूप में माँ कालरात्रि कहलाई,
दिन-रात का भेद भूल कर
सफल होने की राह चुनें,
यह बात सभी को सिखलाई।

अष्टमी रूप में माँ महागौरी कहलाई,
अपने कर्मों के काले आवरण से मुक्त हो एवं उज्जवल चरित्र के साथ सफल होने का सुख हो,
यह पाठ सभी को सिखलाई।

नवमी रूप में माँ सिद्धिदात्री कहलाई,
कार्य में कुशलता और सलीका। सफलता की हर सिद्धि को करता है प्राप्त,
यह पाठ सभी को सिखलाई॥