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पर्यावरण पर कराई राष्ट्रीय काव्य संगोष्ठी

मंडला(मप्र)।

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद कर्नाटक इकाई द्वारा पर्यावरण दिवस पर ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी कराई गई। गोष्ठी में परम श्रद्धेय श्री गुरु जी गौतम ऋषि (राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय गुरुकुल एवं गौशाला अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली) का दिव्य सानिध्य प्राप्त हुआ।
इसमें गुरुजी ने कहा कि आज समय की यही मांग है कि सब लोग मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें। कार्यक्रम के अध्यक्ष हृदय नारायण मिश्रा( राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापक) ने कहा कि हम लोगों का परम कर्तव्य है कि हर एक व्यक्ति एक पेड़ लगाए और उसकी रक्षा करे।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. मेहता नगेंद्र सिंह (भू-वैज्ञानिक,पर्यावरणविद एवं हिंदी साहित्यकार व संपादक) ने कहा कि तब तक ही पर्यावरण शुद्ध है, जब तक इस धरती पर पेड़ हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत बेलगांव (कर्नाटक) से प्रो. मनीषा नाडगौडा की सुमधुर गणेश प्रार्थना से हुई। डॉ. वीणा गुप्ता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डॉ. सुनील कुमार परीट ने सभी अतिथियों, प्रतिभागी कवियों एवं श्रोताओं का स्वागत किया।
कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गीतकार व लेखक प्रो. शरद नारायण खरे(मंडला,मध्य प्रदेश) ने बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता व्यक्त करते हुए तरन्नुम में शानदार मुक्तक पेश कर वाहवाही अर्जित की-‘साँस थमने लगी,मर रही है हवा,दम घुटा जा रहा,मिल रही ना दवा। जीना दूभर हुआ,ख़़तरे में ज़िन्दगी-पेड़ सब कट गए,अब बची ना दुआ॥’
डॉ. रेखा शर्मा,अनिल शर्मा,संजय जैन (मुंबई), मंजू लगोटे,अशोक गोयल और शैलेश सिंह शैली आदि १० श्रेष्ठ राष्ट्रीय कवियों ने मंच पर पर्यावरण से संबंधित रचनाएं प्रस्तुत कर मंच को प्रफुल्लित किया। कवियों को ‘राष्ट्रीय पर्यावरण साहित्य सम्मान-२०२१’ से सम्मानित किया गया।
डॉ. वसुधा कामत ने सुचारु रुप से संचालन किया। संयोजन परिषद की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डॉ. परीट ने किया। कार्यक्रम में डॉ. मलकपपा आलियास महेश ने विशेष सहयोग दिया। कर्नाटक से डॉ. सरोजा मेटी लोडाय ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया

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