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पुस्तक

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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पुस्तक प्रकाश है,
ख़ुशी का अहसास है
ज़िन्दगी का सौन्दर्य व,
उल्लसित विश्वास है।

जीवन की किरण है,
प्रगति की राह है
आवास की खूबसूरती है,
झिलमिल रोशनी है
सरस्वती का वास है,
बुद्धिमता की जननी है।

चिन्तन की धार है,
सम्मान की बहार है
एकता सूत्र में,
बांधे रखने वाला
मजबूत सूत्रधार है।

पुस्तक विहीन घर नहीं,
उजड़ा संसार है
पुस्तक प्रकाश है,
सर्वोत्तम उपहार है।

घर-घर की लक्ष्मी भी,
सरस्वती की धार है
विचारों सिद्धान्तों व,
अवधारणाओं का संगम व
पवित्र विचार है।
घर-घर की,
साज-सज्जा का
नवीनतम सत्कार है।

किताबों से सजी-धजी,
घर का एक कोना
जन्नत सा अहसास है,
पुस्तक ज्योति पुंज है,
चरित्र का प्रकाश है।

पुस्तक विहीन घर में,
नहीं मिलती स्वस्थ साँस है
पुस्तक प्रकाश में,
सर्वत्र दिखता प्रकाश है।

पुस्तक एक रूप है,
उपहार का स्वरूप भी
यादगार यहां,
दिखता अपूर्व भी।

आस्था और श्रद्धा का,
संयुक्त अवतार भी
यादगार पल का,
सुन्दर सन्देश भी
अशिक्षित के लिए,
महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार भी।

पुस्तक के प्रकाश बिना,
सर्वत्र ज्योति मन्द है
अशिक्षित भी महसूस कर,
करते खूब द्वंद हैं।

अकेलेपन का साथी,
भविष्य की धरोहर है
मजबूत विश्वास है,
भाव जैसे स्वर्ग सरोवर है।

जिज्ञासा का सूचक है,
पुरानी पीढ़ी का प्रमाण है
बुजुर्गों की यादें करता ताजा,
दिलाता खूब सम्मान है।

पुस्तक से प्रेम भाव,
सांस्कृतिक समर्पण है
भविष्य का ऐश्वर्य व,
अभिषेक सा प्रर्दशन है।

पुस्तक के चित्र भी हैं,
आकर्षणों का आकर्षण है
विचारों पर आधारित,
यह सर्वोत्तम प्रदर्शन है।

पुस्तक निर्जीव भले हैं,
देता अचूक संस्कार है
संवेदना भावना,सुख-दु:ख
अच्छा-बुरा का बतलाता भेद,
खूब दिखता अपूर्व व्यवहार है।

वैश्विक संकेतों से,
पुस्तक पर प्रहार का दिखता
बहुत जोर है,
समग्र विकास यात्रा में अब
पुस्तक कभी नहीं बन,
सकता कमजोर है।

गूगल युग में,
नज़रिया में फर्क
दिखता पुरजोर है
वैश्विक जंग में,
पुस्तक के बिना
सारा जगत कमजोर है।

मनपसंद पुस्तकें,
घर-घर की रौनक है
ज़िन्दगी के सफ़र में,
अत्यंत कोमल प्रेरक है।

घर-घर के लिए,
यह अनमोल उपहार है
घर-परिवार के बीच,
उत्तम श्रंगार है।

घर-परिवार की रौनक,
बरकरार रखने के लिए
पुस्तकों से प्यार करें
पूजा घर या इबादत खाना,
पुस्तकों का श्रंगार करें।

पुस्तक घर घर-घर में हों,
इस परम्परा की शुरुआत करें
प्रकाश के प्रकाश की हम-सब,
जबरदस्त अब बरसात करें।

हर घर में पुस्तक घर,
एक नवोन्मेष शुरुआत होगी
ज्ञान और प्रकाश की लौ,
घर-घर के संग व आसपास होगी।

पुस्तक दान अभियान भी एक,
उत्तम उपचार होगा।
यह उद्यम सर्वत्र,
वर्षा ऋतु-सी बरसात देगा॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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