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प्रकृति की देन-पौधों में मौजूद औषधीय गुण

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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पर्यावरण पर गलत प्रचलनों पर विचार करें तो सबसे पहले धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को रोकने में हम भारतवासी पहल कर विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।
हमें अपनी खेती-बाड़ी में संयम बरतना चाहिए और उचित तो यही रहेगा कि अब जैविक खेती पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दें। सभी जानते हैं कि आजकल सरकार भी अपनी तरफ से जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
हम जो अन्धाधुंध पेड़ों की कटाई कर रहे हैं, वह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। नीम, कुरकुमालौंगा, लहसुन, अदरक, अंगूर, मेथी, करेला, अनार, शतावरी, मुंगना (सहजन), उलटकंबल, श्योनाक, बरगद-बड़, आंवला एवं अशोक इत्यादि अनेक ऐसे पौधे हैं, जिनमें प्रचुर औषधीय गुण मौजूद हैं। दुनियाभर में इन औषधीय पौधों से ही दवाएं विकसित की जा रही हैं। इसलिए आवश्यकता यही है कि, इस तरह के सभी औषधीय पौधों को सरंक्षण प्रदान किया जाए। इन पौधों को विकसित करने से जमीन मालिक न केवल पर्यावरण सरंक्षण को मजबूती प्रदान करेंगे, बल्कि अपनी आमदनी में भी बढ़ोतरी कर पाएंगे।
नीम, कुरकुमालौंगा, लहसुन आदि ऐसे पौधे हैं, जिनके सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर घट जाता है।
हाल ही में करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में ऐसा पढ़ने में आया है कि, इन पौधों में मधुमेह रोधी गुण पाए गए हैं। परीक्षण में इस तरह के पौधों में एंटीऑक्सीडेंट गुण जानकारी में आए, जो किडनी में ऑक्सीडेंटिव तनाव को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
सभी जानते हैं कि, मधुमेह रोगियों में किड़नी खराब होने की प्रबल सम्भावना रहती है। इस तरह के अध्ययनों से ऐसा विश्वास उत्पन्न हुआ है कि, इन औषधीय पौधों से जो दवाएं विकसित की जाएंगी, उनसे किडनी का समुचित प्रभावी इलाज हो पाएगा।
उपरोक्त के अलावा पीपल, बेलपत्र-फल, आंवला एवं अशोक के वृक्ष भी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। पीपल एक ऐसा पौधा है, जिसमें से न केवल प्राणवायु ऑक्सीजन निकलती है, बल्कि ओज़ोन गैस भी। पीपल की जड़ एवं पत्ते अनेक रोगों, जैसे-अस्थमा, त्वचा आदि की दवा बनाने में उपयोग किए जाते हैं।
इसी क्रम में बेलपत्र में प्रोटीन, विटामिन ए एवं बी वगैरह तत्व तो, बेलफल में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन वगैरह पाते जाते हैं। इसका भी उपयोग त्वचा सहित अनेक रोगों की दवा तैयार करने में लिया जाता है।
जहां तक बड़ का सवाल है तो दूध बहुत बलदायी माना जाता है। इसलिए दूध के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है।बरगद के पेड़ से भी आयुर्वेद में अनेक तरह के इलाज किए जाते हैं जिसमें धातु सम्बन्धित रोग को ठीक करने में इसे रामबाण औषधि माना जाता है।
चूंकि, चरक संहिता में सौ रोगों के निदान हेतु आंवले को एकदम उपयुक्त बताया गया है, इसलिए ही आंवले को आयुर्वेद में अमृत फल माना जाता है। इसे काष्ठोषधि एवं रसौषधि अर्थात दोनों तरह की औषधि निर्माण में काम में लेते हैं। आंवले का प्रयोग न केवल बालों की हर तरह की देखभाल के लिए बल्कि त्रिदोष, कब्ज, मूत्र विकार इत्यादि रोगों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हुआ है।
बता दूं कि आयुर्वेद में अशोक स्त्री विकारों को दूर करने वाला प्रमुख वृक्ष माना जाता है। इसलिए आवश्यकता यही है कि, इस तरह के सभी औषधीय पौधों पर और गहन अध्ययन किया जाए, ताकि आने वाले समय में इनका उपयोग दवा बनाने में और ज्यादा हो सके।