कुल पृष्ठ दर्शन : 198

You are currently viewing प्रभात वन्दना

प्रभात वन्दना

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
*******************************************

देवलोक से आ रही है दस्तक प्रभात वन्दन की,
करुॅ॑ चरण वन्दना प्रभात में,देव रघुनन्दन की।

है मधुर प्रभात की बेला,कर रही हूँ आपकी विनती,
आपके आशीष से ही उन्नति की होती शुरु गिनती।

हे नमामि रामम हे रामचन्द्र,हे सीता पति श्रीराम,
नित्य प्रभात में,मैं देवन्ती लेती हूॅ॑ आपका शुभ नाम।

दिखाया है आपने ज्ञान का दीपक मुझे सुबह-शाम,
जब तक घट में प्राण है,लेती रहूँगी मैं आपका नाम।

प्रभात वन्दन लिख रही मैं,एक आप हो आधार,
बीच भॅ॑वर में फॅ॑सी है नैया,लगा देना उस पार।

हे प्रभु श्री राम दीन-दुखियों के आप ही हो रखवाले,
क्या है लाचारी भगवन,जो मेरे दु:ख को नहीं टाले।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव कुल बन्धु आप हमारे हो,
कोई नहीं जग में मेरा,एक आप ही हमारे सहारे हो।

प्रभात में विनती करती है देवन्ती,अरज हमारी सुनना,
चरण वन्दना करती हूॅ॑,मुझ पर भी दया दृष्टि रखना॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

 

Leave a Reply