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बापू को चिट्ठी

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’
अल्मोड़ा(उत्तराखंड)

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बापू लिख रहा चिट्ठी आज,
तुमको अपने देश के काज।
स्वच्छ शांति सेवा शिक्षा से-
भी ना बदले स्वदेश आज॥

कोई धरना रैली करते,
देश लूटने आतुर होते।
सरकारी हड़ताली बनकर,
काम नहीं पर दाम चाहते॥

देश भक्ति व देश प्रेम का,
झंडारोहण माल्यार्पण का।,
मात्र दिखावा और छलावा-
ढोल पीटकर जयकारा का॥

चरखा टूटा बकरी खाई,
सेवाग्राम घास उग आई।
सन्मति प्रभु से जो माँगी थी-
भूल गये सब पीर पराई॥

नेता केवल वोट माँगते,
न्याय-नियम को नहीं निरखते।
स्वार्थभाव से जन भड़काकर-
इक-दूजे की टाँग खींचते ॥

गाँधी-गाँधी सभी पुकारें,
मर्यादा को कोई न जाने।
सत्य-अहिंसा के पथ भूले-
आज अहं को ही पहचाने॥

यह कैसा आदर्श है,
यह कैसा संसार चला है।
असत् राह पर चलकर नेता-
हर कोई जयचंद बना है-

संसद में भी कुर्सी तोड़ें,
सारी मर्यादाएं तोड़ें।
दीन-दुर्बलों को भड़का कर-
राजनीति गोले छोड़ें॥

बापू जन-जन यह कहता है,
पल पल याद तुम्हें करता है।
शांतिमार्ग से आजादी दी-
जन-जन यही विनय करता है॥

आओ बापू आज धरा पर,
भारत की इस दिव्य धरा पर।
फिर से सत्याग्रह का दीपक-
आज जला दो बापू आकर॥

परिचय-डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना में आप जन्में हैं। वर्तमान में मकड़ी(अल्मोड़ा, उत्तराखंड) आपका बसेरा है। हिंदी एवं संस्कृत सहित सामान्य ज्ञान पंजाबी और उर्दू भाषा का भी रखने वाले डॉ.पांडेय की शिक्षा- स्नातकोत्तर(हिंदी एवं संस्कृत) तथा पीएचडी (संस्कृत)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन (सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि में आप विभिन्न राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्यों में सक्रियता से बराबर सहयोग करते हैं। लेखन विधा-गीत, लेख,निबंध,उपन्यास,कहानी एवं कविता है। प्रकाशन में आपके नाम-पावन राखी,ज्योति निबंधमाला,सुमधुर गीत मंजरी,बाल गीत माधुरी,विनसर चालीसा,अंत्याक्षरी दिग्दर्शन और अभिनव चिंतन सहित बांग्ला व शक संवत् का संयुक्त कैलेंडर है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बहुत से लेख और निबंध सहित आपकी विविध रचनाएं प्रकाशित हैं,तो आकाशवाणी अल्मोड़ा से भी विभिन्न व्याख्यान एवं काव्य पाठ प्रसारित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कार व सम्मान,दक्षता पुरस्कार,राधाकृष्णन पुरस्कार,राज्य उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार और प्रतिभा सम्मान आपने हासिल किया है। ब्लॉग पर भी अपनी बात लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न सम्मान एवं प्रशस्ति-पत्र है। ‘आलोक’ की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा विकास एवं सामाजिक व्यवस्थाओं पर समीक्षात्मक अभिव्यक्ति करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-सुमित्रानंदन पंत,महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’,कबीर दास आदि हैं। प्रेरणापुंज-माता-पिता,गुरुदेव एवं संपर्क में आए विभिन्न महापुरुष हैं। विशेषज्ञता-हिंदी लेखन, देशप्रेम के लयात्मक गीत है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विकास ही हमारे देश का गौरव है,जो हिंदी भाषा के विकास से ही संभव है।”

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