कुल पृष्ठ दर्शन : 279

You are currently viewing फागुन गाता गीत

फागुन गाता गीत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*******************************************

रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )…

होली सुखकर लग रही,फागुन गाता गीत।
तब ही खुश रहना सधे,रहे निकट जब मीत॥
रहे निकट जब मीत,तभी होली है होली।
वरना सारी रात,सजनिया बेहद रो ली॥
बहक रहे जज़्बात,मिलन ने दागी गोली।
लगे सदा बेनूर,बलम बिन अब तो होली॥

होली तो रंगीन है,मत होना ग़मगीन।
कर धारण उल्लास को,मत बन जाना हीन॥
मत बन जाना हीन,गिले-शिकवे मत करना।
मधुरिम हों संबंध,नेहघट को नित भरना॥
तजकर उच्च मकान,मित्र की खोजो खोली।
सबको मान समान,सुखद होगी तब होली॥

होली है नवगीत-सी,जिसमें सुर,लय,ताल।
रंग देत नव ताज़गी,मस्ती भरे गुलाल॥
मस्ती भरे गुलाल,पर्व की बात निराली।
मादक होते ख़ूूब,दोस्तों जीजा-साली॥
माँगे कोई प्रेम,अगर फैलाकर झोली।
करना नहीं निराश,यही कहती है होली॥

होली में है चेतना,होली में उल्लास।
होली मन को दे रही,एक नवल विश्वास॥
एक नवल विश्वास,धर्म हरदम ही ज़िन्दा।
जो माने नहिं साँच,सदा वह हो शर्मिन्दा॥
बालक था प्रहलाद,माथ पर हरि की रोली।
बाँटे हरदम न्याय,बंधुवर नित ही होली॥

होली का तो मान है,होली का यशगान।
होली की अभिप्रेरणा,होली की ही शान॥
होली की है शान,रँगों की महिमा दिखती।
थिरक रहे अरमान,मुहब्बत गाथा लिखती॥
मदिरा का है पान,कहीं पर भँगिया-गोली।
मानें सब ही धर्म,यही कहती है होली॥

होली है पावन बहुत,मंगलमय है पर्व।
सारे ही तो कर रहे,होली पर तो गर्व॥
होली पर तो गर्व,ज़िन्दगी गीत गा रही।
खुशियों की सौगात,प्रीति नज़दीक ला रही॥
गूँजे मंगलगान,बिखरती नेहिल बोली।
दिल में है अनुराग,चहकती है अब होली॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply