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हम हैं,तभी होली का रंग

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )…

सुनो सुनाती हूँ,मैं आपको मित्रों,
होली का रंग और हम का महत्व
रंग और हम की गहरी है मित्रता,
यदि समझ सको तो,इसका तत्व।

यदि हम हैं,तभी होली का है रंग,
हम जिंदा नहीं तो होली है बेढंग
कौन मनाएगा होली का त्योहार,
रंग पड़ा रहेगा,सूना होगा संसार।

मानव जीवन से जुड़ा है त्यौहार,
हवा पानी रंग के साथ में रहते हैं
हवा उड़ाए रंग गुलाल ये कहते हैं,
हम तभी मना पाते हैं ये त्यौहार।

होली रंग,अबीर,खेल कर आते हैं,
लेकर पानी से हम रंग छुड़ाते हैं।
यह होली का पावन रंगीन त्यौहार,
रंग और हम का,करिए सब विचार॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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