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बातें कुछ संविधान की

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’
जयपुर (राजस्थान)

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गणतंत्र दिवस विशेष….


आओ बहनों तुम्हें सुनाऊँ,बातें कुछ संविधान की।
शब्द-शब्द में गौरव गाथा,जनता के सम्मान की॥

भारत के हृदय की धड़कन,अपना संविधान है,
संस्कृति की है इसमें आत्मा,सभ्यता का प्रतिमान है
सबसे बड़ा गणतन्त्र विश्व का,लिखित हर विधान है,
सर्वधर्म समभाव है इसमें,जिसका हमें गुमान है।
छब्बीस नवम्बर दिन था,जब ये बनकर के तैयार हुआ,
संविधान दिवस के नाम से,ये दिन भारत में विख्यात हुआ
मानवता का सार छिपा है,जय-जय रचनाकार की।
हुई घोषणा छब्बीस जनवरी को,भारत के गणराज्य की,
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्…॥

आओ बहनों तुम्हें सुनाऊँ,बातें कुछ संविधान की,
शब्द-शब्द में गौरव गाथा,जनता के सम्मान की…॥

विविधता में एकता ही,भारत की पहचान है,
पढ़ें गीता या पढ़ें कुरान,दिल में हिंदुस्तान है
लोकतंत्र का सबसे बड़ा,ग्रंथ यही महान् है,
शासन के संचालन का इसमें,सारा विधि-विधान है।
गौरवशाली बनी पताका,हर धारा संविधान की,
मिलकर सबको रखनी होगी,नींव रामराज की।
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्…॥

आओ बहनों तुम्हें सुनाऊँ,बातें कुछ संविधान की,
शब्द-शब्द में गौरव गाथा,जनता के सम्मान की…॥

है अनुपालन में ही इसके,राष्ट्र का उत्थान है,
ढाल कवच जनता का है ये,सुख-शांति का विज्ञान है
राष्ट्र प्रगति का मूल मंत्र ये,मेरे वतन की शान है,
इसे आत्मसात करने वाला,कहलाता विद्वान है
भारत की है भाग्य विधाता,जनता हिंदुस्तान की,
आहुतिहैं शामिल इसमें,वीरों के बलिदान की।
हुई घोषणा इस दिन देखो,भारत के गणराज्य की,
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्…॥

आओ बहनों तुम्हें सुनाऊँ,बातें कुछ संविधान की,
शब्द-शब्द में गौरव गाथा ,जनता के सम्मान की…॥

हम सबके सर माथे पर,इसका हर फ़रमान है,
विश्व गुरु की पुनर्प्रतिष्ठा,हर जन का अरमान है
संविधानी पन्नों से लिपटा,राष्ट्र का सम्मान है,
मेरी आन बान शान का रक्षक,मेरा ये संविधान है
नीति न्याय का पथ दिखलाए,लौ ये स्वाभिमान की।
हम सबको लेनी होगी अब,शपथ इसके सम्मान की,
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्…॥

आओ बहनों तुम्हें सुनाऊँ,बातें कुछ संविधान की,
शब्द-शब्द में गौरव गाथा,जनता के सम्मान की…॥
वन्दे मातरम्,वन्दे मातरम्…

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