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बिन शिक्षक ज्ञान नहीं

रेणू अग्रवाल
हैदराबाद(तेलंगाना)
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गुरु को चरण स्पर्श वंदन करती हूँ मैं,
तन-मन से अभिनन्दन करती हूँ मैं
गुरु बिन जीवन सार कभी न समझ पाती,
अपना चेतन भाव समर्पण करती हूँ मैं।

आई सुहानी बेला ‘शिक्षक दिवस’ आया है,
शिक्षक के आगे सबने शीश नवाया है
बिन शिक्षक ज्ञान किसी को नहीं मिलता,
हर बच्चे को शिक्षक ने जीना सिखाया है।

चपल चंचल बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं,
दिमाग़ में अक्षर अक्षर भरना आसान नहीं
पहले अक्षर फिर शब्दों को सिखाया,
इस तरह शिक्षक ने अपना महत्व बताया।

आज़कल की पढ़ाई बड़ी महंगी है भाई,
महंगी फ़ीस बनी सबके लिए कसाई
रोज़ का रोज़ सबक याद कर लो भाई,
मत करो समाज में माँ-बाप की हँसाई।

लड़का हो या लड़की पढ़ाई सबको ज़रूरी है,
रौशनी में भी आँखें तो ज़रूरी है।
समाज में जीने को पढ़ाई भी ज़रूरी है,
ख़ुद के संग समाज की भलाई भी ज़रूरी है॥

परिचय-रेणू अग्रवाल की जन्म तारीख ८ अक्टूबर १९६३ तथा जन्म स्थान-हैदराबाद है। रेणू अग्रवाल का निवास वर्तमान में हैदराबाद(तेलंगाना)में है। इनका स्थाई पता भी यही है। तेलंगाना राज्य की वासी रेणू जी की शिक्षा-इंटर है। कार्यक्षेत्र में आप गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज में शाखा की अध्यक्ष रही हैं। लेखन विधा-काव्य(कविता,गीत,ग़ज़ल आदि) है। आपको हिंदी,तेलुगु एवं इंग्लिश भाषा का ज्ञान है। प्रकाशन के नाम पर काव्य संग्रह-सिसकते एहसास(२००९) और लफ़्ज़ों में ज़िन्दगी(२०१६)है। रचनाओं का प्रकाशन कई पत्र-पत्रिकाओं में ज़ारी है। आपको प्राप्त सम्मान में सर्वश्रेष्ठ कवियित्री,स्मृति चिन्ह,१२ सम्मान-पत्र और लघु कथा में प्रथम सम्मान-पत्र है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-गुरुजी से उज्जैन में सम्मान,कवि सम्मेलन करना और स्वागत कर आशीर्वाद मिलना है। रेणू जी की लेखनी का उद्देश्य-कोई रचना पढ़कर अपने ग़म दो मिनट के लिये भी भूल जाए और उसके चेहरे पर मुस्कान लाना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-हर हाल में खुशी है। विशेषज्ञता-सफ़ल माँ और कवियित्री होना है,जबकि रुचि-सबसे अधिक बस लिखना एवं पुरानी फिल्में देखना है।

 

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