जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
********************************************
बेटी का मान करो लोगों,
इनका सम्मान करो लोगों।
किस्मत रगड़ो मत ऐड़ी से,
आज़ाद करो अब बेड़ी से।
बेटों से कमतर आंको मत,
अब रीति पुरानी हांकों मत।
ये रामायण ये गीता हैं,
कलयुग की ये ही सीता हैं।
बेटों से कभी न झगड़ी है,
हर काम काज में अगड़ी है।
इतिहास गवाही देता है,
हर युग में रही विजेता है।
ये संस्कार की पूंजी हैं,
ये संस्कृति की कुंजी हैं।
सरहद पर लड़ने जाएंगी,
मंगल तक यान उड़ाएंगी।
हर जगह तिरंगा गाढ़ेगी,
दुश्मन का सीना फाड़ेंगी।
क्रिकेट में शतक लगाएंगी,
खेलों में पदक दिलाएंगी।
माँ को सम्मान दिलाएंगी,
बापू अभिमान बढ़ाएंगी।
इनको गोदी में आने दो,
अपनी पहचान बनाने दो।
भारत माता की शान लली,
इस जगती का सम्मान लाली।
माने न कभी भी हार लली,
हैं धरती का श्रंगार लली।
झंझावात में पतवार लली,
रण में लहरी तलवार लली।
ये यज्ञ वेदि की हैं भस्मी
बेटी दुर्गा बेटी लक्ष्मी।
बेटी विलियम बेटी चानू,
बेटी चंदा बेटी भानू।
गंभीर बात सुन लो यारों,
अब इन्हें कोख में मत मारो।
ये भारत माँ की पाँखें हैं,
बेटी ‘हलधर’ की आँखें हैं॥