कुल पृष्ठ दर्शन : 23

You are currently viewing भाषाई स्वाभिमान जाग्रत रहे, इसके लिए प्रयासरत रहें
Oplus_131072

भाषाई स्वाभिमान जाग्रत रहे, इसके लिए प्रयासरत रहें

इंदौर (मप्र)।

‘पथ उजियारा’ पुस्तक में अनेक विषयों पर सुंदर रचनाएं हैं। ‘फागुन’ कविता में ब्रज, अवधी मालवी, निमाड़ी के देशज शब्दों का प्रयोग जब रचना में होता है तो उस रचना की देशजता जीवंत हो उठती है। ‘अमर बलिदान’ कविता में राष्ट्रीयता के स्वर मुखरित हुए हैं। हिंदी के उन्नयन के लिए रचना में भाषायी स्वाभिमान दिखाई देता है। लेखक-लेखिकाएं हिंदी का अगर उन्नयन चाहते हैं, तो हिंदी में और अधिक लिखें। भाषाई स्वाभिमान जाग्रत रहे, इसके लिए प्रयासरत रहें।
साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने यह बात रविवार की शाम को इंदौर प्रेस क्लब के सभागृह में लेखिका निरूपमा त्रिवेदी की पुस्तक ‘पथ उजियारा’ (काव्य संग्रह) का विमोचन करते हुए अध्यक्ष के नाते पर कही। डाॅ. दवे ने खत्म होते भाषाई स्वाभिमान पर चिंता जताई तो साहित्य में विभिन्न विमर्श के नाम पर कुछ लोगों द्वारा फैलाई जा रही नकारात्मकता पर भी चिंतित नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दिए हालिया बयान पर सोशल मीडिया पर मजाकिया अंदाज में दी जा रही टीका-टिप्पणी पर गहरी चिंता जताते हुए डाॅ. दवे ने ऐसा करने वाले लोगों से पूछा कि क्या ऐसे लोग प्रतिमानों की सही जानकारी रखते हैं ?
मुख्य अतिथि डॉ. पदमा सिंह ने कहा कि संस्कार देना और मानवता को सही राह दिखाना ही लेखक की वास्तविक अभिव्यक्ति है। निरुपमा जी ने अपने आसपास बिखरे फैले संसार को अपनी अभिव्यक्ति का विषय बनाया है। इनके पास विपुल जीवन का अनुभव है और भावनाओं का असीम आकाश है।
चर्चाकार डॉ. गरिमा दुबे ने कहा कि इस काव्य संग्रह में कविताएं सहज, सरल भाषा के साथ हैं और पाठकों तक अपने भावों को पहुंचाने में पूर्णतः सफल है।
समारोह में साहित्य व शिक्षा जगत से जुड़े अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे।
आयोजन का संचालन प्रीति दुबे ने किया। आभार श्रेयांश त्रिवेदी ने माना।