नारनौल (हरियाणा)।
मनुमुक्त मानव मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा भारतीय पुलिस सेवा के दिवंगत अधिकारी डॉ. मनुमुक्त मानव की ४२वीं जन्म जयंती पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस स्मरणीय सम्मेलन में ६ महाद्वीपों और १८ देशों के २५ कवियों ने सहभागिता की।
न्यासी डॉ. कांता भारती के प्रेरक सान्निध्य और डॉ. पंकज गौड़ के कुशल संचालन में इस कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य न्यासी डॉ. राम निवास ‘मानव’ ने अतिथियों का स्वागत किया। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि (धर्मशाला) के कुलाधिपति पद्मश्री डॉ. हरमहेंद्र सिंह बेदी ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संदेश में डॉ. मनुमुक्त मानव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उनके असामयिक निधन को देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया। विशिष्ट अतिथि सिंघानिया विश्वविद्यालय (पचेरी बड़ी, राजस्थान) के कुलपति डॉ. मनोजकुमार गर्ग ने डॉ. मनुमुक्त को युवा शक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि वह युवाओं के लिए भविष्य में भी प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। अध्यक्षीय उद्बोधन में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी (पंचकुला) के निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने कहा कि विश्व भर के कवियों द्वारा न्यास के पटल पर उपस्थित होकर डॉ. मनुमुक्त की स्मृति में काव्य-पाठ करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
कवि सम्मेलन में टोक्यो की डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा, रेखा राजवंशी और मेडान के आशीष शर्मा आदि ने सुंदर कविताएं प्रस्तुत की, जिन्हें देश-विदेश के श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली। डॉ. अंजलि मिश्रा, डॉ. श्वेता दीप्ति, डॉ. आरती लोकेश व मीनाक्षी सौरभ ने भी रचनाएँ प्रस्तुत की। डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने भी मनुमुक्त पर “पुत्र शोक के बाद भी, करता पुत्र हूँ उपभोग। मुझसे थे दशरथ भले, सह ना सके वियोग।” जैसे मर्मस्पर्शी दोहे प्रस्तुत किए। इसमें देश-विदेश के अनेक काव्य-प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।