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माँ तुम..

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’
रोहतक (हरियाणा)
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माँ तुम सूखी रोटी ही सही,पर मीठी तो हो
माँ तुम नए संचार न सही,पर चिट्ठी तो हो,
चिट्ठी जिसमें लिखी जाती थी सबको याद
बड़ों को कुशल मंगल छोटों को आशीर्वाद,
मिल जाता था रूह को पानी तन को खाद
खुद की गुलामी न थी घूमते थे बस आजाद।

आज बिन ममता की दौलत भरपूर कभी तो थे
तुम बैंक न सही पर सिक्कों वाली डिब्बी तो थे,
जिनसे हम सिक्के उठाकर खुशियां खरीदते थे
महल न सही पर छत तले हम इकट्ठे भीगते थे,
माँ तुम आकाश न सही,किन्तु मिट्टी तो हो मेरी
जिससे रहती रही सदा ही मेरी जड़ें हरी-भरी।

माँ मैं तेरा छोटा-सा अंकुरण तुमसे हरियाली है
तेरे हाथ की हर कोर मेरे लिए संजीवनी डाली है,
मेरे काव्य की आर्द्रता-भावों की उर्वर जमीं हो
तुम मेरे प्रथम गुरु हो तुम संस्कारों की गठरी हो,
तुम हो पथ का चना-चबैना तुम सुबह हँसती हो
तुम ही लोरी गाता पल मेरी नखरीली मस्ती हो।

तेरी कहानी का नायक मैं जीवन पाठ पढ़ाती थी
पास बैठा मुझे सिखा शिक्षिका तुम बन जाती थी,
होता मैं बीमार गर तो माथे पर ठंडी पट्टी लगाती
हाथों से सहला दर्द मिटा चिकित्सिका बन जाती,
बासी रोटी पर मक्खन लगता था हमको पास्ता
तुम थी तो जीवन में थी सहजता सरलता आस्था।

जब तुम थी तो जीवन पानी-सा सरल बहता था
तुमसे होती बरकत घर में पापा भी यही कहता था,
अब जीवन बिन पहियों की गाड़ी खींचता तो हूँ
घर में खुशी की डाली हरी नहीं होती सींचता तो हूँ,
जीवन नहीं एक संघर्ष है थकावट-कसमसाहट है
अब गली की हर आवाज तेरे आने की आहट है।

माँ खुशी की पुड़िया थी,जो आंनद भर देती थी
चुटकीभर भभूत चटा पीड़ा हवा कर देती थी,
तुम चली गई तो जैसे घर से रौनक ही चली गई
मानो किसी बूढ़ी आँखों से तो ऐनक ही चली गई,
जीवन कश्ती मेरी है तेरा आशीर्वाद पतवार है
चमन उजड़ गया,पर अब भी हवाओं में बहार हैll

परिचय–डॉ.चंद्रदत्त शर्मा का साहित्यिक नाम `चंद्रकवि` हैl जन्मतारीख २२ अप्रैल १९७३ हैl आपकी शिक्षा-एम.फिल. तथा पी.एच.डी.(हिंदी) हैl इनका व्यवसाय यानी कार्य क्षेत्र हिंदी प्राध्यापक का हैl स्थाई पता-गांव ब्राह्मणवास जिला रोहतक (हरियाणा) हैl डॉ.शर्मा की रचनाएं यू-ट्यूब पर भी हैं तो १० पुस्तक प्रकाशन आपके नाम हैl कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई हैंl आप रोहतक सहित अन्य में भी करीब २० साहित्यिक मंचों से जुड़े हुए हैंl इनको २३ प्रमुख पुरस्कार मिले हैं,जिसमें प्रज्ञा सम्मान,श्रीराम कृष्ण कला संगम, साहित्य सोम,सहित्य मित्र,सहित्यश्री,समाज सारथी राष्ट्रीय स्तर सम्मान और लघुकथा अनुसन्धान पुरस्कार आदि हैl आप ९ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हो चुके हैं। हिसार दूरदर्शन पर रचनाओं का प्रसारण हो चुका है तो आपने ६० साहित्यकारों को सम्मानित भी किया है। इसके अलावा १० बार रक्तदान कर चुके हैं।