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मिलकर ऐसा जहां बनाएं

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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वैश्विक शांति जरूरी है,
अपनापन दिखना चाहिए
सामाजिक समरसता आवश्यक है,
सहिष्णुता और प्यार,
रहनी चाहिए।

जहां प्यार से सम्मोहित होकर,
दुनिया भर में फैले भारतीयता
यही है हमारी सदियों की,
मजबूत सभ्यता।

ज़िन्दगी सुनसान न हो,
यह विचार करने की
आज़ दिखती जरूरत है,
जन-जन तक यह
सन्देश भेजने और प्राप्त करने की,
बढ़ रही अहमियत है।

हमें गर्व होना चाहिए,
प्यार और स्नेह से अभिभूत रहने में यहां
ज़िन्दगी का यही फलसफा बने,
यही आरज़ू और मिन्नत
मैं करता हूँ यहां।

न पंथ पर बहस हो,
न धर्म और जाति की गणना
हमें गर्व से बनाना होगा,
पूरे विश्व को सदैव अपना।

आज़ की दुनिया,
पुरानी विरासत पर ऐतबार करे
ज़िन्दगी कीमत पर गम्भीरता से,
एकजुट होकर संवाद करे।

आज़ सहिष्णुता निढाल और परेशान है,
हमें तुरंत करना जरूरी से
सम्पूर्ण और मजबूत निदान है,
सारे जहां को अपना बनाना है
प्रगति पथ पर आगे बढ़ते जाना है।

ज़िन्दगी की रफ्तार अब यहां नहीं,
रूकने की जरूरत दिखती है यहां
वैश्विक संकेतों से यह,
विश्व की जरूरत बन चुकी है यहां।

आओ हम-सब मिलकर एक,
ऐसा जहां बनाएं।
वैश्विक प्यार और स्नेह का,
सर्वोत्तम सौंदर्य उपजाएं॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

 

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