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मैं अग्नि हूँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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जलता मैं चिराग हूँ,
दहकता अलाव हूँ
हर पल धधकता रहा,
वो जलती आग हूँ।

सदियों से जली हूँ,
ना बुझी बस जलती हूँ
लहकती मचलती,
रौशनी मेहताब हूँ।

जलती हर आँधी में हूँ,
मोम-बाती संग भी हूँ
डरना प्रकृति नहीं,
वो दमकता ख्वाब हूँ।

मैं क्रोध भाव आग हूँ,
मैं शरीर में ताप हूँ
लहू के कणों में बहती,
मैं अग्नि मैं आग हूँ !

कर्म का विचार हूँ,
प्रगति का नाम हूँ
बढ़ती हर कदम,,
मैं वही मशाल हूँ।

बाधाओं में प्रयत्न हूँ,
हृदय में मंथन हूँ
दिखाता राह,
मैं वही सुझाव हूँ।

उजाला दुनिया में हूँ,
मैं वही प्रकाश हूँ
ध्वंस करूं विकृतियाँ,
वही मैं आग हूँ।

अँधेरे का रवि हूँ,
वंदन का दीप राग हूँ
दुखी मन में जगा,
आशा की किरण हूँ।

मैं जलता सदा रहा हूँ,
हर पल लड़ता रहा हूँ
प्रतीक हूँ शक्ति का,
मैं वही चिराग हूँ।

मैं विशालता संग हूँ,
जलाती हर चीज हूँ
दिवाली के द्वार पर,
जलता हुआ दीप हूँ।

मैं शिव का तांडव हूँ,
त्रिनेत्र की आग हूँ
दया से पसीजती,
मैं अग्नि-प्रताप हूँ।

मैं अग्नि हूँ प्रलय हूँ,
मैं सदा ही पवित्र हूँ
मैं हवन में जलती,
मैं पूर्ण करती यज्ञ हूँ।

मैं करती तांडव हूँ,
बिगाड़ती हर काम हूँ
ना जो कद्र करो,
मैं अग्नि हूँ आग हूँ।

करती भस्म हर चीज हूँ,
अस्थियों को जलाती हूँ।
मिलाती सब धूल में,
मैं अग्नि हूँ, आग हूँ॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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