कुल पृष्ठ दर्शन : 521

You are currently viewing मैं भारत हूँ

मैं भारत हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
*******************************************

बसे दिल में सभी के वो ज़ियारत हूँ मैं भारत हूँ। (तीर्थ)
मैं गीता वेद क़ुर’आँ की बशारत हूँ मैं भारत हूँ। (दिव्य प्रेरणा)

रहा है इल्म से परचम ज़माने में मेरा ऊँचा, (ध्वज)
मैं गौतम और गाँधी की बसारत हूँ,मैं भारत हूँ। (दृष्टिकोण)

हिला सकता नहीं बुनियाद जिसकी कोई भी रहज़न,
(लुटेरे)
वो तहज़ीब-ओ-तमद्दुन की इमारत हूँ मैं भारत हूँ। (संस्कृति और सभ्यता)

रहा हूँ पेशवा मुद्दत से मैं ही सारे आलम का, (अग्रणी)
जहाँ के सब मुमालिक पर सदारत हूँ,मैं भारत हूँ। (मुल्क का बहुवचन)

घनक में रंग जैसे साथ जीनत पाते हैं वैसे इंद्रधनुष,
(शोभा)
मिलाकर सबको रखने की महारत हूँ मैं भारत हूँ।

ज़बाँ हो या सुख़न मेरा क़दीमी है जहाँ इक ओर, (प्राचीन)
मैं जिद्दत की भी रौशन इक इबारत हूँ मैं भारत हूँ। (आधुनिकता)

नशे में शाह जयसिंह-सा अगर हो तो बिहारी बन,
मैं सच्ची बात कहने की जसारत हूँ मैं भारत हूँ। (शूरता,धृष्टता)

रहा हूँ मैं पुजारी अम्न का सच है मगर ये भी,
जो दुश्मन सामने हो तो हरारत हूँ मैं भारत हूँ। (जोश,गर्मी)

न मेरे नाम का हो तर्जुमा है ‘आरज़ू’ मेरी,
कहो मत ‘इंडिया’ मुझको मैं भारत हूँ,मैं भारत हूँ॥

परिचय-सुश्री अंजुमन मंसूरी लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम ‘आरज़ू’ से ख्यात हैं। जन्म ३० दिसम्बर १९८० को छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में हुआ है। वर्तमान में सुश्री मंसूरी जिला छिंदवाड़ा में ही स्थाई रुप से बसी हुई हैं। संस्कृत,हिंदी एवं उर्दू भाषा को जानने वाली आरज़ू ने स्नातक (संस्कृत साहित्य),परास्नातक(हिंदी साहित्य,उर्दू साहित्य),डी.एड.और बी.एड. की शिक्षा ली है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक(शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय)का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप दिव्यांगों के कल्याण हेतु मंच से संबद्ध होकर सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,हाइकु,लघुकथा आदि है। सांझा संकलन-माँ माँ माँ मेरी माँ में आपकी रचनाएं हैं तो देश के सभी हिंदी भाषी राज्यों से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं तथा पत्रों में कई रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। बात सम्मान की करें तो सुश्री मंसूरी को-‘पाथेय सृजनश्री अलंकरण’ सम्मान(म.प्र.), ‘अनमोल सृजन अलंकरण'(दिल्ली), गौरवांजली अलंकरण-२०१७(म.प्र.) और साहित्य अभिविन्यास सम्मान सहित सर्वश्रेष्ठ कवियित्री सम्मान आदि भी मिले हैं। विशेष उपलब्धि-प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के शिष्य पंडित श्याम मोहन दुबे की शिष्या होना एवं आकाशवाणी(छिंदवाड़ा) से कविताओं का प्रसारण सहित कुछ कविताओं का विश्व की १२ भाषाओं में अनुवाद होना है। बड़ी बात यह है कि आरज़ू ७५ फीसदी दृष्टिबाधित होते हुए भी सक्रियता से सामान्य जीवन जी रही हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावपूर्ण शब्दों से पाठकों में प्रेरणा का संचार करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। सुख और दु:ख की मिश्रित अभिव्यक्ति इनके साहित्य सृजन की प्रेरणा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
हिंदी बिछा के सोऊँ,हिंदी ही ओढ़ती हूँ।
इस हिंदी के सहारे,मैं हिंद जोड़ती हूँ॥ 
आपकी दृष्टि में ‘मातृभाषा’ को ‘भाषा मात्र’ होने से बचाना है।

Leave a Reply