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मौत की जिंदगी से सुलह

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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मौत की जिंदगी से सुलह हो गयी।
नींद सपने सजाकर कलह बो गयी॥

मोड़ पे हम मिलेंगे ये वादा किया,
हमने पूरा नहीं सिर्फ आधा किया।
सिलसिला जीवनी का शुरू हो गया,
जिंदगी की हमारी वजह सो गयी।
मौत की जिन्दगी से सुलह हो गयी…॥

उम्र स्वागत में उसके खड़ी हो गयी,
मुझको ऐसा लगा वो बड़ी हो गयी।
देह गलती रही साथ चलती रही,
देख जिंदा झमेले फंसी रो गयी।
मौत की जिंदगी से सुलह हो गयी…॥

मैं कहाँ हूँ गलत यह मुझे तू बता,
सामने वार कर यूँ न मुझको सता।
हौसलों का शजर मान मेरा सफ़र,
छोड़ दावे पुराने,कहाँ खो गयी।
मौत की जिंदगी से सुलह हो गयी…॥

गम मुझे जो मिला मैंने माना सिला,
जख्म अपने दिए क्या करूँ ये गिला।
दर्द पीता रहा घाव सीता रहा,
पाप ‘हलधर’ किये लेखिनी धो गयी।
मौत की जिंदगी से सुलह हो गयी…॥

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