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यौवन-दान

अरुण कुमार पासवान
ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश)
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कम अनूठी नहीं है,
श्रवण कुमार से,
पुत्र-धर्म की कहानी
पितृभक्त राजा पुरु की;
भीष्म से भी कहीं
मार्मिक है यह दान,
नहीं है किंतु,
लोक मानस में अमर,
कथा पुरु के महा-त्याग की।
आनन्द,जो जीवन की
उपलब्धि है श्रेष्ठतम,
उसकी पराकाष्ठा का
नाम ही तो है यौवन!
और उसका दान तो,
है ही त्याग अन्यतम;
पुरु ही कर सकते थे जो…l
किंतु हे ययाति!
आपका कैसा पितृ-धर्म…!
लौटा दिया यद्यपि यौवन उसे,
हालाँकि,रहे अतृप्त ही;
किंतु माँगा कैसे यह दान ?
दारुण था जो कहीं ज्यादा,
कर्ण के कवच-कुंडल दान से भी…!
और देखो,अनदेखी कर दी फिर भी,
इतिहास ने,जन मानस ने भी
त्याग की,इस महावीर के;
कि जैसे कर दी अनदेखी,
उर्मिला और कैकेयी
द्रौपदी और गांधारी के,
अतुलनीय बलिदान कीll

परिचय:अरुण कुमार पासवान का वर्तमान निवास उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा एवं स्थाई बसेरा जिला-भागलपुर(बिहार)में है। इनकी जन्म तारीख १७ दिसम्बर १९५८ और जन्म स्थान-भागलपुर है। हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री पासवान ने ३ विषय में एम.ए.(इतिहास,हिंदी व अंग्रेज़ी) और विधि में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्य क्षेत्र-सहायक निदेशक, कायर्क्रम सेवा(सेवानिवृत्त-आकाशवाणी)का रहा है। कविता,कहानी,नाटक,लेख में निपुण श्री पासवान के नाम प्रकाशन में-पितृ ऋण (गद्य),अल्मोड़ा के गुलाब (काव्य संग्रह),७ सम्पादित काव्य संग्रह,३ पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित है। आप एक पत्रिका के सह-सम्पादक होने के साथ ही पोर्टल पर लेखन में सक्रिय हैं। लेखन का उद्देश्य-साहित्य सेवा और पसंदीदा हिंदी लेखक-निराला,दिनकर हैं। आपके लिए प्रेरणापुंज- दिनकर हैं। देश और हिंदी भाषा पर आपकी राय-“भारत सामाजिक समन्वय में विश्वास रखता रहा है। इसकी सांस्कृतिक विरासत का कोई सानी नहीं है। हिंदी भाषा को भारतीय संस्कृति की परिचायक और प्रतिनिधि भाषा कहना उपयुक्त होगा। सहिष्णुता हिंदी भाषा का प्रधान चरित्र है।”

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